* फोटो सौजन्य आईपीआरडी, झारखंड

माननीया राजयपाल द्रैपदी मुर्मू ने कहा कि सत्य अहिंसा सद्भावना एवं नशा मुक्ति ही मानव जीवन का आधार है। मनुष्य कर्म से ही अच्छा या बुरा होता है। आज हम 21वीं सदी में है जहां धरती भी छोटी लगने लगी है। सुख सुविधा के लिए मनुष्य ने तरह-तरह के अविष्कार किए हैं। मनुष्य दूसरे ग्रहों पर बसने के लिए सोच रहा है परंतु भगवान ने हमें जो अच्छे गुण दिए हैं उसे हम भूल चुके हैं। मनुष्य को अपना शिक्षक खुद ही होना होगा। राज्यपाल आज मधुबन (गिरिडीह) में जैन धर्म के तीर्थ स्थल पारसनाथ में सत्य अहिंसा का संदेश लेकर पहुंचे संत जैन आचार्य महाश्रमण की अहिंसा यात्रा के कार्यक्रम में लोगों को संबोधित कर रही थी।

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राज्यपाल महोदया ने कहा कि झारखंड एक नया राज्य है परंतु यहां की भूमि अत्यंत प्राचीन एवं पवित्र है। यहाँ पर पारसनाथ पर्वत, अंजन धाम, बाबा वैद्यनाथ धाम जैसे पवित्र स्थल है। आचार्य महाश्रमण जी सत्य अहिंसा का संदेश लेकर 15 सौ किलोमीटर यात्रा तय कर मधुबन आए हैं। महात्मा गांधी जी ने भी सत्य अहिंसा को अपना हथियार बनाकर अंग्रेजों को देश से भगाया था। राज्यपाल ने कहा कि पवित्र पारसनाथ पर्वत पर जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्माण प्राप्त किया था। आचार्य अहिंसा यात्रा के माध्यम से लोगों को जागरुक कर अहिंसा सद्भावना और नशा मुक्ति का महान कार्य कर रहे हैं।

 आज के कार्यक्रम में माननीय मंत्री अमर कुमार बाऊरी, विधायक निर्भय शाहाबादी, केदार हजरा एवं बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
 

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