*Kundan Pahan after surrender in Ranchi.Pic by Ratan Lal

झारखण्ड पुलिस के लिए लम्बे समय तक सिर दर्द और चुनौती बनकर रहे आतंक के पर्याय पन्द्रह लाख रूपये का ईनामी प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी के दुर्दान्त नक्सली कुंदन पाहन ने आज रांची पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। रांची में DIG कार्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में कुंदन पाहन ने सिरेंडर किया है। झारखण्ड सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत यह सिरेण्डर हुआ है। झारखण्ड रीजनल कमेटी के सचिव के रूप में माओवादी में था कुंदन पाहन था। रांची के DIG अमूल वेणुकांत होमकर ने कहा कि नक्सली हिंसा के रास्ता छोड़कर मुख्यधारा से जुड़े, नहीं तो पुलिस की गोली खाने के लिए तैयार रहे। झारखण्ड पुलिस के नई दिशा, एक नई पहल के आत्मसमर्पण समारोह में अपर पुलिस महानिदेशक संजय लाटेकर,  एसएसपी कुलदीप द्विवेदी, ग्रामीण एसपी राजकुमार लकड़ा इत्यादि पुलिस के कई अन्य वरीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

कौन है कुंदन पाहन?

कुंदन भाकपा माओवादी का जोनल कमांडर रहा है। उस पर क्रूरतम नक्सली हिंसा के कई मामले दर्ज हैं। कुंदन एक दुर्दान्त हत्यारा माना जाता है। किसी को बेरहमी से मारने में उसे बहुत मजा आता था। उसकी मात्र एक अस्पष्ट फोटो पुलिस के पास थी। कुंदन पर बुंडू विधायक रमेश सिंह मुंडा की हत्या, बुंडू डीएसपी प्रमोद कुमार समेत 6 पुलिसकर्मियों की हत्या, आईसीआईसीआई बैंक के 5.5 करोड़ रुपए और एक किलो सोने की लूट, सांसद सुनील महतो की हत्या, पुलिस इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार की हत्या समेत कई मामलों में मुख्य रूप से शामिल होने के आरोप हैं। 

कुंदन पाहन बुंडू थाना क्षेत्र के बाराहातू गांव का रहनेवाला है। रांची के एसएसपी कुलदीप द्विवेदी ने कुंदन के आत्मसमर्पण में भूमिका निभायी है।

कुंदन को एमसीसीआई से निकाला जा चुका है। वह बीमार भी है। उसके बच्चे बोकारो में रहते हैं। उसने पुलिस को अपने कुछ सर्मथकों के भी नाम बताये हैं। उसके खिलाफ 100 से अधिक मामले विभिन्न थानों में है। वह रांची और खूंटी जिले में लंबे समय से आतंक का पर्याय था। वह 15 साल तक संगठन से जुड़ा रहा। गांव में गोतिया से जमीन विवाद के बाद वह नक्सली बना। कुंदन के एक भाई ने जनवरी में सरेंडर कर दिया था, जबकि दूसरे को फरवरी में हरियाणा के यमुनानगर से गिरफ्तार किया गया था। झारखंड में हाल ही में 25 लाख के इनामी नक्सली नकुल यादव ने सरेंडर किया था।

कई बड़ी घटनाओं से फैलाई दहशत

कुंदन पाहन ने झारखंड पुलिस की विशेष शाखा के इंस्पेक्टर फ्रांसिस इंदवार का अपहरण करने के बाद गला काट कर हत्या कर दी थी। इंस्पेक्टर का कटा सिर तैमारा घाटी में रांची-टाटा सड़क के बीच में रखा मिला था। उसने बुंडू के डीएसपी प्रमोद कुमार की भी हत्या कर दी थी। मंत्री रमेश सिंह मुंडा को गोलियों से भून दिया था। रांची टाटा रोड पर ही तमाड़ इलाके में निजी बैंक के पांच करोड़ रुपए और डेढ़ किलो सोना लूट लिया था।

रांची पुलिस के लिए चुनौती था कुंदन पाहन

नक्सली कुंदन पाहन रांची पुलिस के लिए डेढ़ दशक से चुनौती बना था। वह जब से संगठन से जुड़ा था, उसके बाद से खूंटी और रांची में भाकपा माओवादी को मजबूती प्रदान की। उसने अपने बलबूते पर कैडरों की एक बड़ी फौज खड़ी कर दी थी। इसमें अधिकतर आदिवासी युवक शामिल थे। ये युवक उसके कहने पर कुछ भी करने को तैयार रहते थे।

अड़की बाजार में एक बार गश्ती कर रहे पुलिस पर हमला कर दिया था। पुलिस के सारे हथियार लूट लिए थे। खूंटी के रनिया क्षेत्र में भी विस्फोट कर पुलिसकर्मियों को उड़ा दिया था और उनके हथियार लूट लिए थे। 2002 में रांची पतरातू घाटी में हमला बोलकर पुलिसकर्मियों से हथियार लूट लिया था। पूछताछ के दौरान उसने पुलिस के समक्ष 70 से अधिक मामलों में शामिल होने की पुष्टि की है। साथ ही यह भी कहा है कि वह प्रशिक्षण के लिए दूसरे राज्यों में भी जा चुका है। एक राजनीतिक दल से बेहतर संबंध की बात भी स्वीकारी है।

कुंदन का सरेंडर पूरी तरह से रांची पुलिस द्वारा कराया गया है। पूछताछ के दौरान उसने यह स्वीकार किया है कि संगठन अपने नीति से भटक गया है। लिहाजा यह संगठन छोड़ने का मन बनाया है और समर्पण किया है।

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