सत्य की लड़ाई में पुलिस को आगे होना चाहिए । लेकिन झारखंड पुलिस की कहानी कुछ ओर ही बया कर रही है । सत्य ये है की छत्तीसगढ़ के रायपुर के गुढ़ियारी स्थित नवकार ज्वेलर्स नामक दुकान से 80 लाख रुपये के जेवरात की चोरी मामले में जांच की आंच अब सिमडेगा के एसपी डा. शम्स तबरेज तक पहुंच गई है। 

याद करे । जेवरात चोरी कर भागने के क्रम में तीन अक्टूबर को चोर सिमडेगा में पकड़े गए थे। उनके पास से बरामद जेवरात के बड़े हिस्से को सिमडेगा पुलिस ने गायब कर दिया था।

इस मामले में सिमडेगा के बांसजोर के ओपी प्रभारी दारोगा आशीष निलंबित किए गए थे।अब  गायब जेवरात की बरामदगी में विलंब होने व डीआइजी पंकज कंबाेज के दौरे के बाद सिमडेगा के एसपी डा. शम्स तबरेज पर मॉनीटरिंग में लापरवाही बरतने के आरोप लग रहे हैं।

जानकारी के अनुसार  इस मामले में उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।

इसलिए की चोरों के पास से बरामद जेवरात को पुलिस वालों ने ही जब्त किया था। जब पूरे मामले की विशेष जांच दल (एसआइटी) से जांच कराई गई, तो एक दारोगा व एक पुलिस चालक की निशानदेही पर 15 किलोग्राम चांदी की बरामदगी हुई है। जब पुलिस ने चोरों को गिरफ्तार किया था, तब पुलिस ने केवल 25 लाख रुपये के जेवर की बरामदगी को ही दिखाया था।  

जबकि, गिरफ्तार आरोपितों ने 80 लाख रुपये के जेवरात की चोरी की बात बताते हुए पुलिस को यह जानकारी दी थी कि सभी जेवरात सिमडेगा की बांसजोर थाने की पुलिस ने जब्त किया था। अब सवाल ये है की लाखों के ज़ेवर गए कहा ?

रायपुर पुलिस के आग्रह पर ही रांची के डीआइजी भी जांच के सिलसिले में सिमडेगा गए थे और उन्होंने पुलिस की लापरवाही को पकड़ा था।

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