झारखंड और केंद्र की सरकार में एक टकराओ बनता दिख रहा है।टकराओ का विषय है - भारत के आदिवासी बहुल इलाक़े में schedule area act के तहत राष्ट्रपति ओर राज्यपाल को बहुत अधिकार प्राप्त है ।इसी के आलोक में राज्यपाल रमेश बैस ने राष्ट्रपति के सामने झारखंड में ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (राज्यपाल रमेश बैस ने राष्ट्रपति के सामने  (TAC) के गठन और उसमें सदस्यों की नियुक्ति में राज्यपाल की शक्ति खत्म करने का मामला उठाया है। 

राष्ट्रपति के साथ राज्यपाल की मुलाकात में श्री रमेश बैस ने कहा कि राज्य सरकार ने इसके साथ ही नगर निगम, नगर पालिका के मेयर व अध्यक्ष के अधिकारों को भी समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस सबंध में वे विधिक राय ले रहे हैं।

4 जून 2021 को राज्य सरकार ने TAC की नई नियमावली बनाई है। इसमें TAC के गठन में राज्यपाल की भूमिका खत्म हो गई है। CM ही अब इसके सर्वेसर्वा हैं। सभी सदस्यों की नियुक्ति के अनुमोदन का अधिकार भी CM के पास ही आ गया। उनकी स्वीकृति से ही TAC गठित हुआ। पहले TAC के गठन का अधिकार राज्यपाल के पास था।

झारखंड लोक सेवा आयोग(JPSC) ने विश्वविद्यालयों में वर्ष 2008 के बाद कोई भर्ती नहीं की है। विश्वविद्यालय सिर्फ 30 प्रतिशत शिक्षकों की क्षमता पर ही कार्य कर रहे हैं। लेकिन, अब नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करा दी गई है।

राज्यपाल ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद आज कई राज्यों की समस्या है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन सुरक्षा बलों की सख्ती और सतर्कता से उग्रवादी संगठनों से निबटा जा रहा है। आत्मसमर्पण के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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