*Images by IPRD, Jharkhand
14 वर्ष राजनीतिक अस्थिरता होने के कारण झारखंड निर्माण का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका। 2014 में राज्य में स्थिर सरकार आने के बाद से विकास कार्यों ने गति पकड़ी। राज्य के विकास के लिए सामर्थ्य, संसाधन और संयोग आज तीनों चीजें हैं। यही कारण है कि मूलभूत जरूरतों के क्षेत्र में तेजी से काम हो रहा है। प्राकृतिक संसाधन हो या मानव बल झारखंड एक समृद्ध राज्य है। लेकिन लोग अभाव की जिंदगी जीने को मजबूर थे। विकास कार्य हुए हैं, लेकिन पिछड़ा राज्य होने के कारण अभी भी यहां काफी कुछ किया जाना बाकी है। झारखंड जैसे राज्यों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी राशि की जरूरत है। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहीं। वे 15वें वित्त आयोग की टीम के साथ बैठक में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त आयोग को अविकसित राज्यों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। पिछड़े राज्य विकसित होंगे, तभी भारत भी पूरी तरह से विकसित होगा। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये भारत का सपना भी यही है कि सारे राज्य विकसित हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी की लड़ाई हो या अलग राज्य का आंदोलन हमारे आदिवासी भाईयों ने अपना खून-पसीना बहाया है। अब हमारा फर्ज है कि उनके जीवन में बदलाव आये। गांव-गांव तक अच्छी सड़क, बिजली और शुद्ध पेयजल पहुंचाना का काम तेजी से किया जा रहा है। गांव में इनके पहुंचते ही लोगों के जीवन में गुणात्मक बदलाव आ जायेगा।
 रघुवर दास ने कहा कि राज्य के सभी गांवों में बिजली पहुंचा दी गयी है। अब घर-घर बिजली पहुंचाने का अभियान चलाया जा रहा है। दिसंबर 2018 तक हम राज्य के हर घर को रोशन करने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की सात फ्लैगशीप योजनाओं को लाभूकों तक पहुंचाया जा रहा है। ग्राम स्वराज अभियान के दूसरे चरण में राज्य के 6512 गांवों तक इन योजनाओं का लाभ 15 अगस्त तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा राज्य के 1000 से ज्यादा अनुसूचित जनजाति की आबादी वाले 3312 गांवों तक भी इन योजनाओं को पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि कृषि में सबसे ज्यादा रोजगार है, लेकिन हमारे यहां सिंचाई की समूचित व्यवस्था नहीं होने के कारण खेती कार्य पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है। खनन क्षेत्रों में लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। इसके कई तरह की बीमारियों से वे ग्रसित हो रहे हैं। इससे बचाव के लिए हम लोगों तक पाइप लाइन के माध्मय से शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए हमने ड्रिस्ट्रीक माइनिंग फंड में आयी राशि का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में पर्यटन की काफी संभावना है। यहां विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन के विकास से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इसके साथ ही विदेशी करेंसी भी आयेगी। हमारे 24 में से 19 जिले आकांक्षी जिलों की सूची में शामिल हैं। राज्य निर्माण के 14 वर्षों के बाद भी हमारे यहां विधान सभा, हाईकोर्ट समेत अन्य प्रमुख भवन नहीं थे। हमारी सरकार ने इन्हें बनवाने का बीड़ा उठाया, ये 2019 तक बन कर तैयार हो जायेंगे। इसी तरह हम न्यू कैपिटल के निर्माण भी करा रहे हैं। इन सभी चीजों के लिए हमें काफी राशि की जरूरत है। इन जरूरतों को पूरा कर हम झारखंड को विकसित राज्यों की श्रेणी में ला सकेंगे।कार्यक्रम में राज्य सरकार की ओर से प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया गया।
बैठक में वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय, स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी, शिक्षा मंत्री नीरा यादव, श्रम मंत्री राज पलिवार, मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, विकास आयुक्त डीके तिवारी, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, आयोग के सदस्य शक्तिकांत दास, डॉ रमेश चंद्र, डॉ अनूप सिंह, डॉ अशोक लहरी समेत राज्य सरकार के वरीय अधिकारी उपस्थित थे।