*Image credit IPRD, Jharkhand
रउरे मनके जोहार! सोबेन को जोहार! नमस्कार!
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर झारखण्ड राज्य अनुसूचित जनजाति सरकारी सेवक संघ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आप सभी जनजातीय भाइयों एवं बहनों के बीच सम्मिलित होकर मुझे अपार खुषी हो रही है। इस दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई देती हूँ।
यह दिवस अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर विष्व के कई देषों द्वारा मनाया जा रहा है। यू0एन0ओ0 द्वारा हर वर्ष आज के दिन को प्दजमतदंजपवदंस क्ंल व िजीम ॅवतसकश्े प्दकपहमदवने च्मवचसमे के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का मूल मकसद उनके संरक्षण के साथ इस समुदाय का विभिन्न क्षेत्रों में योगदान को बढ़ावा देने हेतु प्रेरित करना और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनके अंदर निहित संवेदनषीलता को बढ़ावा देना है।
हमारे देष एवं राज्य में पूरे उत्साह एवं उमंग के साथ इस दिवस को मनाया जाता है तथा इस अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
झारखण्ड राज्य वीरों की भूमि है। इस राज्य में धरतीआबा बिरसा मुण्डा, बीर बुधु भगत, सिद्धो-कान्हु, चाँद-भैरव, फूलो-झान्हो समेत अनेक सपूत हुए हैं, जिन्होंने देष एवं समाज के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। इनका जन्म जनजाति कुल में ही हुआ। मैं इस अवसर पर इन महान सपूतों के साथ अन्य सभी विभूतियों के प्रति सम्मान प्रकट करती हूँ, जिन्होंने देष एवं राज्य के लिए संघर्ष किया तथा अपनी जान तक की परवाह न की।
हमारे देष की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। सभी जानते हैं कि अति प्राचीन काल से ही आदिवासी समुदाय भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के अभिन्न अंग रहे हैं। इन्हें विभिन्न नाम जैसे- जनजाति, आदिवासी, वन्यजाति, गिरिजन आदि दिये गये हैं। भारतीय संविधान में अनुसूचित जनजाति शब्द का उपयोग किया जाता है। इस समुदाय का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। विष्व स्तर पर इसकी अमिट पहचान रही है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति के ये अभिन्न अंग रहे हैं।
जनजातियों की कला, संस्कृति, लोक सहित्य, परंपरा एवं रीति-रिवाज़ समृद्ध रही है। जनजातीय गीत एवं नृत्य बहुत मनमोहक है। ये प्रकृति प्रेमी होते हैं। इसकी झलक इनके पर्व-त्योहारों में भी दिखती है। इस राज्य में ही विभिन्न अवसरों पर देखते हैं कि जनजातियों के गायन और नृत्य उनके समुदाय तक सीमित नहीं हैं, सभी के अंदर उस पर झूमने के लिए इच्छा जगा देती है।
झारखंड राज्य में लगभग 3.25 करोड़ से अधिक की आबादी में जनजातियों की संख्या आबादी का लगभग 27 प्रतिषत है। राज्य में 30 से अधिक प्रकार की अनुसूचित जनजातियाँ हैं, जिनमें आदिम जनजातियाँ भी शामिल हैं। जनसंख्या का अधिकांष हिस्सा गाँवों में बसता है।
प्राकृतिक सौन्दर्य से सुषोभित इस राज्य को संविधान की पाँचवीं अनुसूची में शामिल किया गया है ताकि इस क्षेत्र में निवास कर रहे जनजातियों का सर्वांगीण विकास हो सके। अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनायें संचालित है। इन योजनाओं का बेहतर तरीके से लागू होने पर इनका विकास जरूर होगा। आप सभी से आह्वान है कि आप बुद्धिजीवी लोग सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का आम जन तक प्रचार-प्रसार कर उन्हें लाभान्वित करने की पहल करें।
आज कल्याणकारी योजनाओं से जनजातियों की दषा एवं हालत में सुधार तो हुई है, परन्तु जनजातियों को भी सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक होने की जरूरत है। गरीबों, शोषितों, वंचितों की मदद करें।
जनजातियों को षिक्षा के प्रति अधिक जागरूक होने की जरूरत है। किसी भी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक तरक्की में ज्ञान की अहम भूमिका होती है। कहते हैं- ज्ञान ही षक्ति है। ऐसे में जरूरी है कि सभी षिक्षित हों। चाहे वो बालक हो या बालिका।
जनजातीय समुदाय के बहुत से लोगों ने विपरीत हालात रहने पर भी मन में ललक रहने पर पूरे उमंग व उत्साह के साथ षिक्षा हासिल की है। आज हालात बदले हैं। पढ़ाई के लिए पूर्व की तुलना में बेहतर माहौल दिख रहे हैं। ऐसे में अधिक-से-अधिक लोग उच्च षिक्षा हासिल करें, हमारी यही कोषिष होनी चाहिये।
हमारा राष्ट्र तेजी से प्रगति कर रहा है। हमने विभिन्न क्षेत्रों में कामयाबी हासिल की है। पूरी दुनिया हमारे देष की गतिविधियों को गौर से देख रही है। हम सषक्त हुए हैं। इस दिषा में हमारा राज्य भी तेजी से काम कर रहा है।
मैं आप सब से कहना चाहूँगी कि आपलोग लोगों को जागरूक करने का कार्य करें, ताकि गरीबी, अषिक्षा, पलायन, अंधविष्वास आदि की समस्याओं का निदान हो सके। विकसित राज्य के निर्माण की दिषा में अपना सहयोग दें तथा सषक्त भारत के लिए अहम भागीदारी निभायें।
जय हिन्द! जय झारखंड!