परमहँस स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के जन्म का शताब्दि-समारोह (1923 से 2023) इस वर्ष मनाया जा रहा है,जिस निमित्त सम्पूर्ण भारतवर्ष में योग साधना शिविर, ध्यान शिविर और योग पर व्याख्यान माला का आयोजन हो रहा है। 

राजधानी राँची में बिहार योग विद्यालय के वरिष्ठ संन्यासी और परमहँस स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के अनन्य शिष्य स्वामी गोरखनाथ सरस्वती 05 जून से 10 जून तक छह दिनों तक योग साधना सत्र का आयोजन रातूरोड स्थित अरविन्दो आश्रम में संचालित कर रहे हैं। 

यहाँ प्रातः और सायं दो पाली में योग की कक्षा चल रही है जिसका समय प्रातः6 से 7:30 और अपराह्न 5 से 6:30  है। प्रातः आसन और प्राणायाम की कक्षा तथा अपराह्न योगनिद्रा,ध्यान,सत्संग और भजन का कार्यक्रम चल रहा है। 

आज प्रातः स्वामी गोरखनाथ सरस्वती के कर-कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित और शांति मंत्र से योग कक्षा की शुरुआत हुई। संन्यासी मुक्तरथ ने स्वामी जी का परिचय और स्वामी सत्यानन्द सरस्वती के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में बिहार योग प्रणाली की एक रूपरेखा का वर्णन किये।

स्वामी गोरखनाथ सरस्वती सैकड़ो योग साधकों को संबोधित करते हुए बताये कि बिहार योग की पध्दति समग्र योग की पध्दति है यहाँ राजयोग,कर्मयोग, हठयोग,भक्तियोग, ज्ञानयोग सभी का समावेश है। योग करते वक्त लोगों को 10 से 12 बिन्दुओं पर ध्यान रखना आवश्यक है जिससे कि योग करने वाले को योग का पूरा लाभ मिलेगा।

योग संचालन शिविर के प्रबंधक आदित्य कुमार और रूपम कुमारी   योग कार्यक्रमों को प्रतिदिन सुचारू रूप से कराने हेतु सारा प्रबंधन कर रहे हैं।

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