राँची योगोत्सव के पाँचवें दिवस पर आज बीएसएनएल मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय में स्वामी गोरखनाथ राज्य के बीएसएनएल कर्मी को बिहार योग का टिप्स दिये। स्वामी जी ने बताया कि योगमय जीवन को अपनायें,इसके बिना स्वास्थ्य का प्रबंधन कर पाना बहुत मुश्किल है।
सिर्फ शरीर का हिस्ट-पुष्ट होना अच्छे स्वास्थ्य की निशानी नहीं है। स्वास्थ्य आप की स्थिरता को, आप के व्यवहार को दर्शाता है, आप की विनम्रता, आपकी कर्तव्यनिष्ठा, आप की निर्मलता, आप के विवेक को परिभाषित करता है।
जब ये सभी गुण समस्त मानवता के लिये काम आने लग जाये तब इसका मतलब है कि आप योग कर रहे हैं। सिर्फ आसन और प्राणायाम के कर लेने से योग नहीं हो जाता है, ये तो योग के छोटे से अंग हैं। ध्यान,कीर्तन,मन्त्र-जप,विचारों का द्रष्टा बनना, ये सारे अभ्यास से मन पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। हर आदमी का सबसे बड़ा बाधक है अहंकार।
सबसे बड़ी बात है कि व्यक्ति हमेशा अपनी ही बातों को मनवाना चाहते हैं। अपनी बातों को दूसरे पर थोपते रहते हैं, अपने भीतर कभी झाँकते ही नहीं हैं, दूसरों की मनोदशा के बारे में किन्चित सोचते नहीं हैं। आप अपने ऑफिस के तनाव को लेकर घर जाते हैं और वहाँ अपने बच्चों पर, पत्नी पर, परिवार के अन्य सदस्यों पर जाकर बरसते हैं। आप ऑफिस के वारदातों को ऑफिस में ही छोड़ कर जायें। न तो ऑफिस के तनाव को लेकर घर जायें, और न घर के तनाव को लेकर ऑफिस आयें।
स्वामी गोरखनाथ सरस्वती का स्वागत महाप्रबंधक उमेश प्रसाद साह एवं उनकी धर्मपत्नी सुप्रिया जायसवाल ने किया। योगाचार्य संन्यासी मुक्तरथ और नेचुरोपैथी के रूपम कुमारी का भी बीएसएनएल की तरफ से स्वागत किया गया। मुक्तरथ जी ने स्वामी जी के भारत भ्रमण और बिहार योग विद्यालय की लम्बी योग परंपरा का ब्यौरा दिये तथा स्वामी सत्यानन्द परम्परा का विस्तृत वर्णन बताये।