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बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए सूचीबद्ध संस्थाएं बनने का यह उपयुक्त समय है। यदि अमेज़ॉन, सैमसंग, ऐप्पल, टोयोटा आदि जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियां ऐसा सोचने लगें, तो यह कदम भारतीय इक्विटी पूंजी बाजारों के लिए परिवर्तनकारी हो सकता है।

 

दीर्घकालिक सुधारों ने मजबूत भविष्य की नींव रखी है

 

यह रिपोर्ट उच्च वृद्धि के उद्देश्‍य से एक इकोसिस्‍टम बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए निरंतर सुधारों को श्रेय देती है। “2014 के बाद से, मोदी सरकार ने देश में 'कारोबार में सुगमता' को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। 

 

2017 के ऐतिहासिक जीएसटी सुधार ने कई कराधान संरचनाओं को एक सामान राष्ट्रीय प्रणाली में सीमित कर दिया, जो भारतीय राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की 'यूरोज़ोन' शैली प्रवाह बनाने के समान था। 

 

2016 का दिवाला कानून बैंकिंग प्रणाली में ऐसे ऋणों का प्रबंध करने में तेजी लाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ जहां उधारकर्ताओं को एक निर्धारित समय के भीतर बकाया ऋण चुकाना था। रिपोर्ट में कहा गया कि 2017 के रियल एस्टेट नियामक कानून (आरईआरए) ने विशाल, असंगठित संपत्ति क्षेत्र के बकाये का भुगतान करने में मदद की।  

 

निष्कर्ष में जेफ़रीज़ की रिपोर्ट कहती है, "बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव की दुनिया में, भारत कुशलतापूर्वक जी 7 के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में कामयाब रहा है, जबकि ब्रिक्स का भी पूरी तरह से सदस्य बन गया है, जैसाकि पिछले वर्ष सितम्‍बर में दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की व्यापक रूप से स्वीकृत सफलता से परिलक्षित होता है।”

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