*धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पावन भूमि, झारखंड आगमन पर माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का हार्दिक अभिनंदन और जोहार करते हुए माननीय राज्यपाल श्री सी०पी० राधाकृष्णन एवं माननीय मुख्यमंत्री श्री चम्पाई सोरेन।

बाबा बैद्यनाथ के क्षेत्र में आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। इस पुण्य भूमि पर स्थित झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में आकर मुझे विशेष हर्ष का अनुभव हो रहा है। मैं आज उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई देती हूँ। 

आज स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं विशेष बधाई देती हूँ। मैं सभी विद्यार्थियों के माता-पिता, अभिभावकों और प्राध्यापकों को भी बधाई देती हूँ जिन्होंने विद्यार्थियों की यात्रा के हर पड़ाव पर उनका साथ दिया है, और मार्गदर्शन किया है।

प्रिय विद्यार्थियो,

आपके Campus के पास से ही स्वर्णरेखा नदी बहती है। और ऐसा कहा जाता है कि स्वर्णरेखा नदी के जल-सेवन मात्र से ही मनुष्य को ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है। ऐसी भूमि और नदी के सान्निध्य में शिक्षा प्राप्त करना आपके लिए सौभाग्य की बात है।

आपके विश्वविद्यालय का आदर्श वाक्य है “ज्ञानात् ही बुद्धि कौशलम”। इसका अर्थ है, ज्ञान से ही बुद्धि और कौशल का विकास होता है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आज विद्यार्थी जीवन से निकलकर चुनौतियों से भरे विश्व में प्रवेश कर रहे सभी विद्यार्थी इस संस्थान द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान का सार्थक उपयोग करेंगे। अब आप सब को जीवन की जटिल परीक्षाओं का सामना करना है जहां वास्तव में आपकी बुद्धि और कौशल का आपको उपयोग करना होगा और विभिन्न समस्याओं के हल खोजने होंगे।

देवियो और सज्जनो,​

राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कार प्रदान करते समय, शिक्षण संस्थानों के दीक्षांत समारोहों में, विभिन्न सेवाओं के प्रशिक्षु अधिकारियों से मिलते समय; मुझे अहसास होता है कि आज हमारी महिलाएं और बेटियाँ सभी क्षेत्रों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि आज स्वर्ण पदक प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों में हमारी बेटियों की संख्या लगभग 50प्रतिशत है। स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाली बेटियों को मैं विशेष रूप से शुभाशीष देती हूँ। प्रत्येक बाधा एवं अवरोध को पार करके आपके द्वारा प्राप्त की गई सफलता, हमारे समाज के लिए तथा सुनहरे भविष्य का सपना सँजोने वाली हर बेटी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

देवियो और सज्जनो,

मुझे बताया गया है कि झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित शिक्षा पद्धति को अपनाया है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अनुसंधान के क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय सराहनीय कार्य कर रहा है।

मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि इस संस्थान द्वारा स्थानीय भाषा, साहित्य एवं संगीत की सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजने एवं बढ़ावा देने के लिए विशेष centres बनाए गए हैं। मैं भारतीय संस्कृति और, खास तौर पर, जनजातीय समाज की संस्कृति के संरक्षण, अध्ययन और प्रचार कार्यों के लिए इस विश्वविद्यालय और यहाँ की टीम को बधाई देती हूँ।

झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय का यह चेरी मनातू campus, green architecture principles को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। इस विश्वविद्यालय का ब्राम्बे campus भी प्रकृति के साथ समन्वय को दर्शाता है जहां परिसर में पेड़ों को बिना काटे कई कमरों का निर्माण किया गया है। अध्ययन और अध्यापन के कार्य के लिए अच्छा वातावरण प्रदान करने के साथ-साथ यह सभी eco-friendly practices समाज के लिए पर्यावरण संरक्षण का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करती हैं।

प्रिय विद्यार्थियो,

आप सभी युवा, भारत का सबसे बड़ा संसाधन और सबसे बड़ी पूंजी हैं। भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है, हमारी 55 प्रतिशत से अधिक आबादी 25 वर्ष से कम उम्र की है। भारत की अर्थव्यवस्था आज विश्व में पांचवें स्थान पर है और 2030 तक हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं। आप सभी को ज्ञात है कि हमने भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में आपके पास एक स्वर्णिम भविष्य के निर्माण की न केवल अपार संभावनाएं हैं, बल्कि उनके अनुकूल परिस्थितियाँ भी हैं।

आपका दायित्व सिर्फ अपने लिए एक अच्छे जीवन के निर्माण का ही नहीं है, आपका यह भी नैतिक कर्तव्य है कि आप समाज एवं देश निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। आप आज प्रतिज्ञा लें कि आप जिस क्षेत्र में कार्यरत होंगे, वहाँ एक समृद्ध एवं विकसित भारत के निर्माण के लिए कार्य करेंगे, एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए कार्य करेंगे जहां समरसता हो और जहां प्रत्येक व्यक्ति का जीवन गरिमापूर्ण हो। आपको हमेशा यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि आपके कार्य से पिछड़े या वंचित वर्ग के व्यक्ति लाभान्वित होंगे या नहीं। 

देवियो और सज्जनो,

मैं जब भी झारखंड आती हूँ तो लगता है कि अपने घर वापिस आई हूँ। मेरा झारखंड से ज्यादा जुड़ाव इसलिए भी है क्योंकि राज्यपाल के तौर पर मैंने कई वर्ष यहाँ जनसेवा का कार्य किया है। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पवित्र धरती पर होने का सौभाग्य, मुझे खुशी से भर देता है।

खनिज संपदा की दृष्टि से झारखंड की धरती रत्न-गर्भा हैं। झारखंड की लगभग 26 प्रतिशत आबादी जनजातीय है। यहाँ के सब लोगों से और खास कर जनजातीय भाई-बहनों से मेरा जुड़ाव रहा है। मैं यहाँ उपस्थित सभी लोगों से यह कहना चाहती हूँ कि जनजातीय लोग भी अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। 

हम सब जानते हैं कि जनजातीय लोगों के पास पारंपरिक ज्ञान का भंडार है। उनकी जीवन शैली में अनेक ऐसी परम्पराएँ हैं जो अन्य लोगों और समुदायों के जीवन को भी बेहतर बना सकती हैं। मैंने पहले भी कहा है कि जनजातीय लोग प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर जीवन-यापन करते हैं और यदि हम इनकी जीवन शैली और पद्धति से सीख पाएं तो हम global warming जैसी बड़ी चुनौती का सामना भी कर सकते हैं।

देवियो और सज्जनो, 

मैं कामना करती हूँ कि झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय देश निर्माण में सक्रिय योगदान देता रहे। झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सभी उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मैं फिर से बधाई देती हूँ और आप सब के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करते हुए अपनी वाणी को विराम देती हूँ।

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