बच्चों के बिना बच्चों के लिए कुछ नहीं। इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए और बाल अधिकारों को राजनीतिक एजेंडे में सर्वोच्च स्थान देते हुए झारखंड के बाल पत्रकारों ने यूनिसेफ के सहयोग से आज झारखंड विधानसभा के माननीय अध्यक्ष श्री रवींद्र नाथ महतो को बाल घोषणापत्र सौंपा।  

यूनिसेफ एवं नाइनइसमाइन के द्वारा बच्चों के साथ परामर्श के आधार पर तैयार बाल घोषणापत्र में राज्य भर के 700 से अधिक बच्चों के इनपुट को शामिल किया गया है। यह झारखंड में बच्चों की चिंताओं, आकांक्षाओं तथा मांगों को दर्शाता है। 

45 सूत्रीय घोषणापत्र में बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, मजबूत बाल संरक्षण उपाय और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में बच्चों की सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया गया है। माननीय अध्यक्ष श्री रवींद्र नाथ महतो ने घोषणापत्र प्राप्त करते हुए इस पहल की प्रशंसा की और युवा आवाजों को सुनने के महत्व पर बल दिया। 

 

उन्हांेने कहा, ‘‘मैं इन युवा और दृढ़ निश्चयी बच्चों के प्रयासों की सराहना करता हूँ, जिन्होंने पहली बार अपनी माँगों के बारे में सोचा है कि कैसे यह विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी घोषणापत्रों में प्रतिबिंबित होना चाहिए। उनकी माँगें एक बेहतर, सुरक्षित और अधिक समावेशी भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि उनकी चिंताओं को विधायी प्रक्रियाओं के माध्यम से समाधान किया जाए। मैं यूनिसेफ चाइल्ड रिपोर्टर्स और उन बच्चों के प्रयासों की सराहना करता हूँ, जिन्होंने आज अपनी अंतर्दृष्टि साझा की है। शासन में उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण है और मैं उन्हें आश्वासन देता हूँ कि हम झारखंड को एक ऐसा स्थान बनाने के लिए काम करेंगे जहाँ हर बच्चा स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सके।’’ 

यूनिसेफ झारखंड के प्रतिनिधि गण- यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ. कनीनिका मित्र और संचार विशेषज्ञ आस्था अलंग ने इस महत्वपूर्ण पहल का समर्थन करते हुए कार्यक्रम में भाग लिया। डॉ. कनीनिका मित्र ने कहा, ‘‘बच्चों द्वारा प्रस्तुत घोषणापत्र झारखंड के सभी बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 

आज हमने जो आवाजें सुनी हैं उन्हें ठोस कार्रवाई में बदलना होगा। बच्चे सिर्फ नीतियों के लाभार्थी नहीं हैं, बल्कि राज्य के भविष्य को आकार देने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। हम विधानसभा अध्यक्ष और सभी राजनीतिक नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि इन बच्चों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जाए।’’ उन्होंने राजनीतिक दलों से आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्रों में बाल.केंद्रित मुद्दों को शामिल करने का आह्वान किया। 

सुश्री आस्था अलंग ने बच्चों के अधिकारों को स्वीकृति प्रदान करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों का घोषणापत्र शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, संरक्षण और सामाजिक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए एक स्पष्ट एजेंडा निर्धारित करता है। बच्चे आम तौर पर वोट नहीं देते हैं और पारंपरिक रूप से राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग नहीं लेते हैं। 

बच्चों के विचार कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अनसुने रह जाते हैं जो उन्हें वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी प्रभावित करेंगे। बच्चों के लिए आज एक सुनहरा अवसर था कि उन्हें झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष के समक्ष अपनी माँगों को प्रस्तुत करने का मौका मिला। 

बच्चों के द्वारा उठाए गए मुद्दों एवं प्रस्तावों को पार्टी लाइन से परे जाकर राजनीतिक नेताओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि नीति निर्माण में बच्चों की भलाई को सबसे आगे रखा जाए।

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