1st सुराना और सुराना-एनयूएसआरएल नेशनल क्रिमिनल लॉ मूट कोर्ट प्रतियोगिता का आज समापन हो गया। इस प्रतियोगिता में मधुसूदन लॉ यूनिवर्सिटी कटक को पहला पुस्कार मिला।
महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी नागपुर दूसरे नंबर पर रही। फाइनल राउंड की न्यायिक प्रक्रिया में माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक रोशन (झारखंड हाईकोर्ट), वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार और प्रोफेसर उदय शंकर ने निर्णायक की भूमिका निभाई।
इस प्रतियोगिता में देशभर के 35 शीर्ष विश्वविद्यालयों की टीमों ने हिस्सा लिया था। इसके माध्यम से देशभर के कई विश्वविद्यालय के छात्रों को अपनी कानूनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने और समकालीन आपराधिक कानून से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्याओं पर गहन विचार-विमर्श करने का अवसर मिला।
माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक रोशन ने कहा, "यह एक बेहतरीन अवसर है, जहां छात्र वकालत की दुनिया में कदम रखने से पहले कोर्ट के माहौल को समझ सकते हैं। एक मजबूत और अच्छी तरह से तैयार केस से ही वकील को सफलता मिलती है। प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी छात्र विजेता हैं, क्योंकि उन्होंने अपने डर और झिझक को पार किया है।
" वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "मैं अपने परिवार में पहला हूं, जिसने वकालत को अपना पेशा चुना। मुझे इस पेशे में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब छात्रों के लिए परिस्थितियां अलग हैं। आजकल सभी जानकारी आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हो जाती है, जो हमारे लिए पहले संभव नहीं था। मैं आप सभी से कहना चाहता हूं कि इस पेशे में बहुत मेहनत की जरूरत होती है, आपको आगे खूब मेहनत करनी है।
प्रोफेसर उदय शंकर ने कहा, "मूट कोर्ट प्रतियोगिता छात्रों के लिए एक अद्भुत मंच है, जहां वे बहुत कुछ सीख सकते हैं। यह छात्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और उन्हें अपने कौशल को निखारने का मौका देती है।" सुराना एंड सुराना के प्रीतम सुराना ने नयी तकनीक के बेहतर इस्तेमाल का जिक्र करते हुए कहा, "एआई आज एक बेहतरीन विकल्प के रूप में हमारे पास मौजूद है।
इस तकनीक से रिसर्च का लंबा समय कम हो सकता है, लेकिन इस तकनीक से आये रिजल्ट को एक बार जांचने की जरूरत है।" उन्होंने मूट कोर्ट प्रतियोगिता के संबंध में बताया कि इसे बेहतरीन वकील तैयार करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है। सुराना एंड सुराना, जो अंतर्राष्ट्रीय वकीलों के लिए शैक्षिक पहलों में अग्रणी हैं, ने इस प्रतियोगिता का आयोजन किया।
इस बार की प्रतियोगिता का विषय था 2024 आपराधिक संहिता संशोधन, जिसमें अनुपस्थित व्यक्ति पर मुकदमे की वैधता और पुलिस रिमांड की संवैधानिक वैधता जैसे महत्वपूर्ण कानूनी पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। न्यायाधीशों ने टीमों की बौद्धिक क्षमता, कोर्ट रूम में उनके आचरण और प्रभावी कानूनी तर्कों की सराहना की। एनयूएसआरएल के माननीय कुलपति, प्रोफेसर (डॉ.) अशोक आर. पटिल ने कहा, "यह प्रतियोगिता न केवल हमारे आगामी वकीलों के कौशल का परीक्षण करती है, बल्कि उन्हें आज के आपराधिक कानून में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहरे विचार-विमर्श का अवसर भी प्रदान करती है।
" प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने आयोजन के उच्च मानकों की सराहना की और इसे आपराधिक कानून के जटिल मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच बताया। फाइनल राउंड ने कानूनी समुदाय को एकजुट किया और भारत में कानूनी सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण विचार-विमर्श की शुरुआत की। इस कार्यक्रम में माननीय न्यायमूर्ति श्री दीपक रोशन (झारखंड हाईकोर्ट), वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार, डॉ. उदय शंकर, प्रीतम सुराना, डॉ. श्यामला कंडादाई, सुश्री सोनी भोला सहित कई गणमान्य अतिथि और प्रोफेसर उपस्थित रहे।