तीसरा जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड समारोह और बहुभाषाई दुरङ परफॉरमेंस 30 नवंबर को रांची में आयोजित होगा। इस वर्ष का राष्ट्रीय आदिवासी साहित्य अवार्ड गोंडी के विनोद मोतीराम आत्राम, सादरी की शिखा मिंज और संताली के आलबिनुस हेम्ब्रम को प्रदान किया जाएगा। टीआरआई हॉल, रांची में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, ओडिशा की सुप्रसिद्ध संताली साहित्यकार और पद्मश्री सम्मानित डॉ. दमयंती बेसरा इन तीनों रचनाकारों को सम्मानित करेंगी।
अवार्ड समारोह के बाद बहुभाषाई आदिवासी-देशज दुरङ परफॉरमेंस का आयोजन होगा, जिसमें झारखंड, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से आए कवि 15 भाषाओं में अपनी कविताओं और गीतों की प्रस्तुतियां देंगे। यह समारोह यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
अवार्ड की संयोजक और प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की मुख्य कार्यकारी वंदना टेटे ने बताया कि वर्ष 2024 का जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य अवार्ड तीन कविता संग्रहों को प्रदान किया जाएगा। इन संग्रहों में शामिल हैं महाराष्ट्र के विनोद मोतीराम आत्राम का गोंडी कविता संग्रह ‘हिरवाल मेटा’, सिलिगुड़ी, पश्चिम बंगाल की शिखा मिंज का सादरी संग्रह ‘निरदन’ और पाकुड़, झारखंड के आलबिनुस हेम्ब्रम का संताली संग्रह ‘सिरजो़नरे जीवेदो़क’।
समारोह के दूसरे सत्र में बहुभाषाई आदिवासी-देशज दुरङ परफॉरमेंस का कार्यक्रम होगा। इसमें विभिन्न भाषाओं के रोशनी असुर, श्रद्धानंद असुर (असुर); मोनिका सिंह (भूमिज); विष्णु बिरहोड़ (बिरहोड़); सामुएल बिरजिया (बिरजिया); विनोद मोतीराम आत्राम (गोंडी); पानी पूर्ति (हो); नीता कुसुम बिलुङ (खड़िया); शांति भारत (खोरठा); डॉ. शांति खलखो (कुड़ुख); रतन कुमार महतो ‘सत्यार्थी’ (कुड़मालि); ललित किशोर नाग, जादु मुण्डा (मुण्डारी); विकी मिंज (नागपुरी); विष्णु चरण सिंह मुण्डा (पंचपरगनिया); शिखा मिंज (सादरी); लेदेम मार्डी, आलबिनुस हेम्ब्रम (संताली) कवि और कलाकारों द्वारा कविताओं और गीतों का पाठ किया जाएगा। कार्यक्रम में असुर लूर अखड़ा जोभीपाट व लोदम पाट और बिरजिया लूर अखड़ा रांची के बच्चों द्वारा भी गीतों की प्रस्तुति होगी। साथ ही अश्विनी कुमार पंकज द्वारा जयपाल सिंह मुंडा पर केंद्रित और आदि धर्म पर दो वीडियो गीत जारी किए जाएंगे।
श्रीमती टेटे ने जानकारी दी कि अवार्ड की स्थापना देश के सर्वोच्च आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा, झारखंड आंदोलन के लेखक-पत्रकार जुलियुस तिग्गा और लड़ाकू नेत्री हन्ना बोदरा की स्मृति में की गई है। 2022 से शुरू किए गए इस अवार्ड का उद्देश्य आदिवासी साहित्य और लेखकों को प्रोत्साहित करना है। अवार्ड के तहत देश की किसी भी आदिवासी भाषा-लिपि या हिंदी-अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में लिखित तीन उत्कृष्ट मौलिक पांडुलिपियों को प्रकाशित किया जाता है। चयनित पुस्तकों के रचनाकारों को रॉयल्टी की अग्रिम राशि, निःशुल्क 50 प्रतियां, मानपत्र आदि दिए जाते हैं।