नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ,रांची के सेंटर फॉर बिजनेस लॉ द्वारा बजट पर विस्तार से चर्चा की गई। इस "पैनल डिस्कशन में यूनियन बजट 2025 पर चर्चा हुई जिसका विषय था, विकास, स्थिरता और समावेशी विकास में संतुलन।
इस परिचर्चा में पैनलिस्ट रहे डॉ. अमरेंदु नंदी,असिस्टेंट प्रोफेसर,आईआईएम रांची,श्री विनय जलान, टैक्स कंसल्टेंट,डॉ. नरेंद्र नरोत्तम, असिस्टेंट प्रोफेसर, NUSRL रांची,डॉ. श्वेता मोहन, असिस्टेंट प्रोफेसर। इस कार्यक्रम का संचालन छात्र सौरभ कुमार झा ने किया।
इस परिचर्चा में आयोजक सदस्य के रूप में विश्विवद्लाय के शिक्षक डॉ. हिरल मेहता कुमार, संयोजक,डॉ. संचिता तिवारी,डॉ मृत्युंजय मयंक, श्री शान्तनु ब्रज चौबे भी शामिल रहे। बजट पर हुई इस परिचर्चा में बजट के विभिन्न पहलुओं पर एक्सपर्ट्स ने अपनी बात रखी। परिचर्चा में बजट की नीतियों, उसके उद्देश्यों और विकास पर उसके प्रभावों पर बात हुई।
सभी पैनलिस्ट्स ने इस बजट को संतुलित और विकासोन्मुखी बताया। छात्रों ने बजट में बिहार पर फोकस को लेकर सवाल उठाए। डॉ. नरेंद्र नरोत्तम ने कहा, "राजनीति और अर्थव्यवस्था एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
बिहार मखाने का एक बड़ा निर्यातक है, जिसे सशक्त करने की आवश्यकता है लेकिन आप इसके दूसरे पहलुओं को भी नकार नहीं सकते जिसकी वजह से बिहार पर फोकस है। डॉ. अमरेंदु नंदी ने बजट को परिभाषित करते हुए समझाया कि "बजट आय और व्यय का लेखाजोखा है, लेकिन इससे अधिक यह नीतियों, योजनाओं और विकास का प्रतिबिंब है।"
उन्होंने बिहार के संदर्भ में बजट में उल्लेखित पहलुओं पर भी अपनी राय दी। श्री विनय जलान ने टैक्स से जुड़े पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, "हर व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स देता है। यदि कोई प्रत्यक्ष कर नहीं देता, तो वस्तुओं की खरीदारी के दौरान जीएसटी के रूप में अप्रत्यक्ष कर अदा करता है। जब तक हम अपने टैक्स के पैसों से हो रहे विकास को अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तब तक असंतोष बना रहेगा।"
उन्होंने बजट को घरेलू बजट से जोड़ते हुए इसे सरल शब्दों में समझाया ।डॉ. श्वेता मोहन ने टैक्स स्लैब में किए गए बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा, "अब लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक धन होगा, जिससे उपभोक्ता व्यय में वृद्धि होगी।
बजट में रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया गया है और कृषि को मजबूत करने से देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।" सत्र के दौरान छात्रों और शिक्षकों ने कई सवाल पूछे। सवाल पूछा गया, "कई लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों कर चुकाते हैं, फिर भी उन्हें कुछ विशेष लाभ क्यों नहीं मिलता?"
इस पर श्री विनय जलान ने उत्तर देते हुए कहा, "अगर मेहनत के आधार पर कर छूट दी जाए, तो सबसे अधिक मेहनत रिक्शा चालक, कुली और मजदूर करते हैं। टैक्स का पैसा देश के विकास कार्यों में लगता है और यह सोचना गलत है कि कर देने से व्यक्ति को व्यक्तिगत लाभ मिलना चाहिए।"
इसके अलावा, कालेधन की वापसी, केंद्र और राज्य सरकार के बजट संबंध, और बजट में राजनीतिक प्रभाव जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई और पैनलिस्ट्स ने सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दिए। यह परिचर्चा न केवल छात्रों के लिए शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही, बल्कि उन्होंने बजट और आर्थिक नीतियों की गहराई को समझने का अवसर भी प्राप्त किया।