मंडी में किसान अपना माल फैला कर एक कोने में हाथ बांध कर मज़दूरों की तरह बैठ जाता है।

और बार बार मंडी के दलाल से विनती करता रहता है कि साहब मेरे माल की भी बोली लगवा दो।

दलाल:- रुक जा, देख नहीं रहा, कितने लोग हैं लाइन में।
किसान चुपचाप एक कोने में बैठा, थोड़ी देर में फिर दलाल के पास जकर बोलता है, साहब अब तो देख लो।

तभी दलाल किसान पर अहसान जताते हुए आता है और एक मुट्ठी अनाज अपने हाथ में लेकर बोलता है, उफ्फ इस बार फिर सी ग्रेड का माल ले आया।

किसान :- जो भी है साहब ये ही है।
दलाल:- ठीक है अभी देखता हूँ, 50 रुपये सस्ते में जायेगा पर ये माल।
किसान:- जैसा भी आप सही समझो साहब।
थोड़ी देर में दलाल आता है और उसका माल उठवाता है।
दलाल:- कुल 18 कुंतल माल बैठा है।
किसान:- पर साहब घर से तो 20 कुंतल तौल कर लाया था।
दलाल:- तेरे सामने ही तो तौला है, मैं थोड़े ही खा गया 2 कुंतल माल। बता पैसे अभी लेगा या बाद में लेकर जाएगा।
किसान:- अभी दे दो साहब, घर में बहुत जरूरत है।
दलाल:- पैसे गिनते हुए, इसमे 5% कमीसन कट गया, 9% मंडी का टैक्स।
200 रुपए सफाई वाली के, 1000 रुपये बेलदार के।
200 रुपये चौकीदार भी मांगेंगे।
500 रुपये की तुलाई लग गई।
ये ले भाई तेरा सारा हिसाब लगा कर इतना बनता है।
किसान:- हाथों में नोटो को दबा कर घर जाकर, जब हिसाब लगाता है, तो पता चला, सब कट पिट कर कुल 15 कुंतल के माल का पैसा ही हाथ लगा।

बाकी 5 कुंतल कहाँ गया ?
बस जितनी भी आज राज्यसभा मे आपने हाथापाई देखी
जितना भी विरोध आप सड़को पर किसान बिल 2020 के लिए देख रहे हो ये सब उसी 5 कुंतल के लिए हो रहा है।
वार्ना बाकी सब ऐसे ही चलेगा।

बिचौलियों के लिए अभी भी रास्ता खुला है, बस वो अपनी मनमर्जी नहीं कर पाएंगे किसानों पर।

क्योंकि सरकार ने किसानों के लिए एक अलग रास्ता और दे दिया है, जिसमें किसान बिचौलियों के पास न जाकर, सीधे ग्राहक, कंपनी तक पहुच सकता है।

दुःख बस इन 5 कुंतल वालों को ही हो रहा है।
वार्ना, किसानों को कुल मिला कर कोई हानि नही है।
 

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