झारखंड के जेलों में कोरोना के प्रसार को कम करने के लिए कैदियों को जमानत व पैरोल पर बाहर निकालने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत झारखंड के 29 जेलों से लगभग 7 हजार कैदियों को औपबंधिक जमानत व पैरोल दिया जाएगा। कैदियों को 3-4 महीने के लिए छोड़ा जाएगा। पिछले साल भी इसी प्रक्रिया के तहत कैदियों को छोड़ा गया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद झारखंड की जेलों में भीड़ को कम करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक हुई। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में जेलों में भीड़ कम करने का निर्देश दिया गया।

इस प्रक्रिया के तहत 7-10 साल तक सजा पाने वाले कैदियों को पैरोल पर व चोरी-छिनतई जैसे छोटे आपराधिक घटना में शामिल विचाराधीन कैदियों को छोड़ने को छोड़ने का प्रस्ताव है। छोड़े गए कैदियों को अपने-अपने क्षेत्र के थाने के संपर्क में रहना होगा। इस दौरान अगर किसी आपराधिक गतिविधि में कैदी शामिल पाया गया, तो पुलिस उन्हें तुरंत वापस जेल भेजेगी।

जेल आईजी वीरेंद्र भूषण ने बताया कि यह पूरी तरह झालसा का निर्णय होगा। हम लोग झालसा के आदेशों का पालन करेंगे। उन्होंने बताया कि निर्देशों के मुताबिक पैरोल व जमानत पाने वाले कैदियों की सूची सभी जेल अधीक्षकों को तैयार करने का निर्देश दिया गया है। वे इसे तैयार कर जिले में झालसा के सचिव को सौपेंगे। आदेश मिलते ही कैदियों को छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

झारखंड में कुल 29 जेल हैं। इनमें 7 सेंट्रल जेल, 14 डिस्ट्रिक्ट जेल, हजारीबाग में एक ओपन जेल और सात सब-जेल है। इन जेलों में लगभग 23 हजार कैदी बंद हैं।

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