सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पीआईबी-आरओबी रांची, एफओबी डालटनगंज के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पूर्व संध्या पर *'बी विथ योगा, बी एट होम-योग के साथ रहें, घर में रहें'* विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।
वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए पीआईबी-आरओबी रांची के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के जरिए योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली। पहले योग का महत्व साधु-संतों के आश्रमों तक ही सीमित था, पर जैसे-जैसे लोगों को इसके फायदों के बारे में जानकारी मिलने लगी इसका विकास हुआ। आज हर कोई योग शब्द से परिचित है और इसे अपना भी रहा है।
योग के जरिए मानसिक शांति के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी पाया जा सकता है। इसके द्वारा हम अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति का विकास कर सकते हैं। कोरोना के दौर में योग का महत्व और बाजार दोनों बढ़ा है। यौगिक क्रियाएं धर्म-जाति संप्रदाय से परे हैं, सुखी और निरोगी काया के लिए हमें इसे जीवनशैली में अपनाना चाहिए। कहा भी जाता है कि स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है।
इससे पूर्व वेबिनार के आरंभ में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी गौरव पुष्कर ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए 'बी विथ योगा, बी एट होम-योग के साथ रहें, घर में रहें' थीम तय किया गया है। श्री पुष्कर ने पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटशन के माध्यम से भारत के प्राचीनतम योग की पद्धतियां, संयुक्त राष्ट्र द्वारा योग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान, आयुष मंत्रालय के गठन, योग के क्षेत्र में उभरती संभावनाएं, योग का बाजार और हर वर्ष 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत से लेकर आज तक के पड़ाव पर विस्तृत जानकारी दी।
वेबिनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया, रांची के वरिष्ठ सन्यासी स्वामी श्री ईश्वरानंद गिरी जी ने कहा कि किसी भी काम को श्रद्वा के साथ करना ही योग है। शरीर स्वस्थ रहने के बावजूद यदि मन स्वस्थ नहीं है तो वह व्यक्ति स्वस्थ नहीं है। पूर्ण रूप से स्वस्थ रहने की परिभाषा में मन का भी शांत रहना शामिल है। शरीर को चलाने वाला मन सबसे जटिल मशीन है, इसे काबू में रखना हमारे लिए चुनौती है। योग के जरिए ही इसे काबू में रखा जा सकता है। योग दिवस के दिन ही केवल योगाभ्यास न करें बल्कि इसे अपनी जीवनशैली में अपनाएं।
स्वामी जी ने कहा कि हमें शांत मन के लिए अपने क्रोध पर भी नियंत्रण पाना होगा। गुस्सा हमारा सबसे बड़ा शत्रु है, इससे हमारे सामाजिक संबंध खराब होते हैं। क्रोध आए तो क्या करना चाहिए, कैसे क्रोध को पहचानें और इसे कैसे काबू में करें, इसके लिए स्वामी जी ने श्वांस रोकने और कुछ देर रोककर छोड़ने , ध्यान लागने की विधियां भी बताईं। प्रतिभागियों ने इसका अभ्यास ऑनलाइन ही किया।
वेबिनार को विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए सरला बिरला युनिवर्सिटी के योगा एंड नैचुरोपैथी विभाग के प्रोग्राम समन्वयक प्रो. कुमार राकेश रोशन पाराशर ने कहा कि योग का मतलब संपूर्ण जीवनशैली है। हम यदि यह सोचें कि सिर्फ योग कर लेने भर से हमें फायदा होगा तो यह सही नहीं है, हमें अपनी पूरी जीवनशैली बदलनी होगी।
हम कब जागते हैं, कब सोते हैं, क्या खाते हैं और कितनी मात्रा में खाते हैं स्वस्थ रहने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए इन बातों का भी ध्यान रखना जरूरी है। भोजन करने के उपरांत तत्काल नहीं सोना चाहिए, शाम का भोजन सात बजे तक कर लेना चाहिए और प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में ही उठने से शरीर स्वस्थ रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। भोजन का सही तरीके से पाचन, अवशोषण और निस्तारण जरूरी है। अनुशासित जीवन से ही रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में वेबिनार को संबोधित करते हुए पतंजलि योग समिति, गढ़वा के विस्तारक सुशील कुमार केशरी ने कहा कि योग के लिए यम और नियम का पालन जरूरी है। घर में बैठने के तरीकों से भी योगासन किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार और भुजंग आसन के जरिए शरीर को चुस्त और फूर्त बनाया जा सकता है। सूरज से पहले उठना तथा सूर्यास्त से पहले अन्न ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। श्री केशरी ने प्राणायाम और योगाभ्यास के तरीकों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।