चौंतीसवें स्थापना दिवस के अवसर पर 6 अगस्त, 2021 को ट्राईफेड मुख्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें श्री अर्जुन मुंडा, माननीय जनजातीय कार्य मंत्री उपस्थित थे।

इस अवसर पर, ट्राईफेड दल ने जनजातीय जीवन को बदलने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह कार्यक्रम केवल 'स्थापना दिवस उत्सव' ही नहीं था, बल्कि जनजातीय क्षेत्रों में व्यापार से संबंधित मुद्दों और जनजातीय समुदाय के लिए उनके उत्पादों के व्यापार में उचित सौदा सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में सभी के अंदर जागरूकता बढ़ाने के लिए भी आयोजित किया गया था। 

जल्द ही भारत की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर, जैसे देश 'आजादी का अमृत महोत्सव' मना रहा है, उसी प्रकार ट्राईफेड ने वन धन स्वयं सहायता समूहों (वीडीएसएचजी), वन धन विकास केंद्र समूहों (वीडीवीकेसी), जनजातीय कारीगरों, वनोपज संग्रहकर्ताओं की उपलब्धियों और उनके लिए काम करने वाले लोगों के योगदान के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 74 पुरस्कार और राज्य स्तर पर 202 पुरस्कार की स्थापना की है।

इस आयोजन के दौरान चुने गए जनजातीय वन धन स्वयं सहायता समूहों (वीडीएसएचजी), वन धन विकास केंद्र समूहों (वीडीवीकेसी), जनजातीय कारीगरों, वनोपज संग्रहकर्ताओं और उनके लिए काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में बोलते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने टीम को बधाई दी और कहा, "मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि ट्राईफेड ने महामारी के दौरान जनजातीय लोगों को रोजगार तथा आजीविका सृजन में सहायता करने और उद्यम व वाणिज्य के माध्यम से जनजातीय सशक्तिकरण के अपने मिशन की दिशा में लगातार काम करने के अपने प्रयासों को दोगुना कर दिया है।"

ट्राईफेड की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए और आने वाले वर्षों के लिए अपने मिशन को आगे बढ़ाते हुए, ट्राईफेड के प्रबंध निदेशक, श्री प्रवीर कृष्ण ने कहा, “भारत की 8% से अधिक आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) है। वर्तमान में हम उनकी सराहना मुख्य रूप से उनकी विविध एवं अनूठी संस्कृति, हस्तशिल्प कलाकृतियों और गीतों के लिए करते है। जबकि, हमें उनकी आजीविका को मजबूत करने और जनजातियों को उनके पारंपरिक आवास में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के बारे में सोचने की जरूरत है। यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आह्वान है। और इसी को ध्यान में रखते हुए ट्राईफेड जनजातीय हित की दिशा में काम करेगा।

ट्राईफेड द्वारा जनजातीय समुदाय के सशक्तिकरण के लिए कई उल्लेखनीय कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। कई उपलब्धियां विशेष रूप से ध्यान देने योग्य हैं। पिछले दो वर्ष में, 'न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से लघु वनोपजों (एमएफपी) के विपणन के लिए तंत्र और लघु वनोपजों (एमएफपी) की मूल्य श्रृंखला के विकास' योजना ने जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। 

इसने जनजातीय अर्थव्यवस्था में 3000 करोड़ रुपये का सीधे अंतरण किया है। इस दौरान खरीद 30 करोड़ रुपये से बढ़कर 1843 करोड़ रुपये हो गई है। वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप, जो इसी योजना का एक घटक है, जनजातीय संग्रहकर्ताओं, वनवासियों और घर वापस आने वाले जनजातीय कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में उभरा है। दो वर्ष से भी कम समय में, ट्राईफेड द्वारा 300 सदस्यीय 2,240 वन धन विकास केंद्र समूहों (वीडीवीकेसी) में समूहित 37,362 वन धन स्वयं सहायता समूहों (वीडीएसएचजी) को स्वीकृत किया गया है, जिनमें से 1,200 वन धन विकास केंद्र समूह चालू हो गए हैं।

इससे 6.77 लाख जनजातीय वनोपज संग्रहकर्ताओं को रोजगार मिला है। खुदरा विपणन तंत्र के तहत अब तक कुल 141 ट्राइब्स इंडिया बिक्री केंद्र खोले जा चुके हैं, जो पिछले 43 से कई गुना बढ़ गया है। पिछले कुछ वर्ष में, जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा देने और बाजार के विकास को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में, ट्राईफेड ने तैंतीस आदि महोत्सव आयोजित किए हैं, जहां जनजातीय हस्तशिल्प उत्पादों की एक प्रदर्शनी लगाई जाती है तथा साथ ही बिक्री भी की जाती है, जिसमें 5930 शामिल कारीगरों ने भाग लिया, और 2447.9 लाख रुपये की बिक्री अर्जित की गई।

1999 में 9 महादेव रोड, नई दिल्ली में पहले बिक्री केंद्र से अब पूरे भारत में 141 खुदरा बिक्री केंद्र हो गए हैं। नए बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के कार्यान्वयन के साथ, ट्राईफेड के उप-नियमों में दिनांक 2.4.2003 को संशोधन किया गया था और इसने जनजातीय उत्पादों और उपजों के लिए एक सेवा प्रदाता, सुविधाकर्ता, समन्वयक और एक बाजार विकासकर्ता के रूप में कार्य करना शुरू किया।

पिछले दशकों में, ट्राईफेड लगातार अपनी गतिविधियों को बढ़ा रहा है और विभिन्न हस्तक्षेप कर रहा है। चल रही पहलों और कई आगामी पहलों के सफल कार्यान्वयन के साथ, ट्राईफेड ने ठोस कदम उठाने की अपनी प्रतिबद्धता का वादा किया है जिससे पूरे भारत में जनजतीय समुदाय को लाभ पहुंचेगा। ट्राईफेड दल अपने शुभचिंतकों, संरक्षकों और भागीदारों को उनके सहयोग और समर्थन के लिए इन वर्षों के दौरान जनजतीय उत्थान के नेक काम के लिए धन्यवाद देती है।
 

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