दोनों पर कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया है। इससे पहले मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई पूरी कर ली गई थी। दरअसल, साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की मौत मामले में प्रार्थी की ओर से अदालत में महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना चलाने के लिए IL (इंटरलोकेटरी) आवेदन दाखिल की गई थी।

आवेदन में किया गया था कि पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन और अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार का व्यवहार अदालत की मर्यादा के प्रतिकूल था। इसलिए इनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए।

महाधिवक्ता और अपर महाधिवक्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखते हुए कहा कि अवमानना का मामला नहीं चलाया जाना ही सभी के लिए अच्छा होगा। उस दिन क्या हुआ यह कोर्ट ही जानता है। हम इसके बारे में नहीं जानना चाहते हैं, लेकिन मेरा आग्रह होगा कि इस मामले को नहीं चलाया जाए। हम इसके लिए बिना शर्त माफी मांगते हैं।

उन्होंने कहा था कि लिखित रूप में आने पर यह कोर्ट के रिकॉर्ड पर आ जाएगा। इसलिए इस मामले को अनावश्यक नहीं बढ़ाया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि अदालत में क्या महाधिवक्ता ऐसा व्यवहार कर सकते हैं? 

समस्या तो यही कि उनकी ओर से ऐसा किया गया। सवाल सिर्फ जज पर ही नहीं, बल्कि न्यायिक संस्था पर उठा है। इस मामले में शपथ पत्र दाखिल किया जाए। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रार्थी का आवेदन सुनवाई योग्य नहीं है।

दरअसल, पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता राजीव रंजन ने जस्टिस एसके द्विवेदी से कहा था कि उन्हें अब इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 11 अगस्त को मामले की सुनवाई समाप्त होने के बाद प्रार्थी के अधिवक्ता का माइक्रोफोन ऑन रह गया था। वह अपने मुवक्किल से कह रहे थे कि इस मामले का फैसला उनके पक्ष में आना तय है। 200% इस मामले की CBI जांच तय है। जब प्रार्थी के वकील इस तरह का दावा कर रहे हैं, तो अदालत से आग्रह होगा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करें।

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