झारखंड में अपनाई गई क्लियर, होल्ड और डेवलप नीति के तहत वर्तमान परिपेक्ष में राज्य को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की नितांत आवश्यकता है। दिसंबर 2014 से नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रयास का परिणाम है कि 2015 से 2019 की कुल नक्सली घटनाओं की तुलना 2010 से 2014 के नक्सली घटनाओं से की जाए तो 60 प्रतिशत की कमी परिलक्षित हुई है। नक्सलियों द्वारा आम लोगों को मारे जाने की घटना में एक तिहाई की कमी, जबकि सुरक्षाबलों से मुठभेड़ में मारे गए नक्सली की संख्या में दोगुनी से भी अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2015 से 2019 के बीच आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या दुगनी हो गई और पुलिस द्वारा नक्सलियों से हथियार की बरामदगी में भी तीन 33 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ये बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्ष ता में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में कही।

नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों के जीवन में बदलाव लाने का हो रहा प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी बहुआयामी रणनीति के तहत जहां एक तरफ राज्य पुलिस एवं अर्द्धसैनिक बल लगातार कंधे से कंधा मिलाकर नक्सलवाद के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किया जा रहा है। उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सरकार द्वारा फोकस एरिया डेवलपमेंट प्लान के तहत राज्य की गरीब एवं आदिवासी जनता को आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने के लिए अनेक विकास कार्य कर लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। 

चुनाव में 275 कंपनी बल की जरूरत होगी
श्री दास ने कहा कि निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर लगभग 275 कंपनी अर्धसैनिक बलों की शांतिपूर्ण चुराए चुनाव कराने के लिए आवश्यकता होगी। इसे मुहैया कराने हेतु मैं गृह मंत्रालय से अनुरोध करता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के आभारी है कि झारखंड में जो केंद्रीय अर्ध सैनिक बल उपलब्ध कराए गए हैं वे लगातार झारखंड पुलिस के साथ मिलकर नक्सलियों से जूझ रहे हैं। झारखंड में नक्सलवाद अंतिम पड़ाव पर है। इस समय नक्सलियों पर सुरक्षाबलों द्वारा दबाव बन रहा है। उसके लिए आवश्यक है कि झारखंड में अर्द्ध सैनिक बलों को आने वाले दो-तीन वर्षों तक कमी ना की जाए।

14 वर्ष में 22248 किमी सड़क, 5 वर्ष में 22865 किमी ग्रामीण सड़क
मुख्यमंत्री ने बताया कि शुरुआती सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्र क्षेत्र के गांव आज सड़क मार्ग से जुड़ चुके हैं। वहां विकास योजनाएं पहुंच रही हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका इन क्षेत्रों में स्थापित पुलिस पिकेट और कैंपो का रहा है, जहां कहीं भी नक्सलियों द्वारा विकास कार्यों में किसी तरह की बाधा पहुंचाई गई। वहां विकास कार्य सुरक्षा बलों की सहायता से संपन्न कराया गया। 2001 से 2014 के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 222418 किलोमीटर सड़क मात्र बनाई गई थी, वहीं विगत 5 वर्षों में 22865 किलोमीटर सड़क बनाई गई। विशेष केंद्रीय सहायता योजना के तहत दी जानेवाली राशि से उग्रवाद प्रभावित जिलों में काफी तेजी से आधारभूत संरचनाओं एवं विकास कार्यों का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

2500 से अधिक अवर निरीक्षकों की हुई बहाली
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस अवर निरीक्षक की भारी कमी नक्सल अभियान के सुचारू संचालन में एक मुख्य बाधा थी। क्योंकि पिछले ढाई दशक में मात्र 250 पुलिस अवर निरीक्षकों की बहाली हो पाई थी। वर्तमान सरकार द्वारा 2014 के बाद 2500 से ज्यादा पुलिस अवर निरीक्षकों की बहाली की गई जो अभी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। उम्मीद है कि इनके प्रशिक्षण के बाद फील्ड में आने से झारखंड पुलिस की कार्यशैली एवं कार्य क्षमता में अतुलनीय वृद्धि होगी।
 

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