स्केच : प्रभात ठाकुर, कला निर्देशक, बॉलीवुड

हेमा मालिनी को हमसे एक पीढ़ी पहले के लोगों ने ड्रीम गर्ल की संज्ञा दी थी वो एकदम सटीक है। मुझे भी वो सचमुच स्वपन सुंदरी ही लगती हैं । इनसे पहले वाली पीढ़ी में मधुबाला अच्छी लगती हैं। हेमा जी के बारे में यहीं कहना चाहूंगा कि उन्हें भगवान ने सच में फुर्सत में और काफी मन से बनाया है। वे वैसी ही जैसी हम स्वर्ग की सुंदिरयों जैसे मेनका व उर्वशी आदि की काल्पनिक प्रतिमाएं गढ़ते हैं या जितनी भी देवियां हैं लक्ष्मी सरस्वती आदि उनके जैसी ही लगती हैं हेमाजी। मैंने एक बार उन्हें नोएडा में रजत शर्मा के शो आप की अदालत की शूटिंग में देखा था।

उनकी एक्टिंग को मैं साधारण ही मानता हूं । उनकी बहुत कम फिल्में देखी हैं। दो चार फिल्में ही ऐसी हैं जिनमें उनको अभिनय के लिए याद किया जाए। शोले की बसंती की इमेज आज भी धुंधली नहीं हुई है। उनका बोलने को लहजा खासकर अंतिम शब्द को लंबा खिंचना काफी इरिटेटिंग लगता है। खैर उनको रुपहले पर्दे पर ही देखना काफी अच्छा अनुभव है।

ऐसे मिला ड्रिम गर्ल नाम

हेमामालिनी प्रोफेशनल डांसर थीं। उन्हें राज कपूर को लेकर सपनों का सौदागर फिल्म बना रहे निर्माता बी अनंतस्वामी ब्रेक दिया। दर्शकों को लुभाने के लिए उन्होंने हेमामालिनी के फोटो के नीचे लिख दिया raj kapoors dream girl । ये फिल्म तो कुछ खास नहीं चली पर इसकी नायिका हेमा मालिनी का नाम ड्रिम गर्ल मशहूर हो गया।

मां जया ने तैयार किया करियर का रोडमैप

हेमा मालिनी के जीवन में उनकी मां की भूमिका बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। उनकी मां जया चक्रवर्ती ने जो सपने खुद के लिए देखे थे लेकिन पूरे नहीं कर पाईं थीं वो सपने उन्होंने बेटी हेमा के माध्यम से पूरे किए। उन्होंने हेमा को पहले अच्छी नृत्यांगना बनाया, लेकिन इस चक्कर में हेमा का बचपन छिन गया। हेमा को अपने उम्र के बच्चों के साथ खेलने कूदने के स्वभाविक जीवन से वंचित कर दिया गया। हेमा के दोस्त नहीं बने। कड़े अनुशासन में उनका नृत्य प्रशिक्षण चला। फिल्मों में आने के बाद भी उनकी मां ही उनका सारा कामकाज मैनेज करतीं थीं। हेमा कौन सी फिल्म करेंगी, कितने पैसे लेंगी या और भी शर्तें उनकी मां ही तय करतीं थीं। एक तरह से देखा जाए तो मां जया की डिजाइनर बेबी थीं हेमा।

क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो

फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा में हेमा मालिनी पर फिल्माया गया क्या खूब लगती हो बड़ी सुंदर दिखती हो गाना बहुत लाजवाब है। इसमें वो बेहद आकर्षक लगती हैं। नजरे हटाए नहीं हटती हैं।
हेमा मालिनी को पहली सफलता वर्ष 1970 में प्रदर्शित फिल्म (जॉनी मेरा नाम) से हासिल हुई। इसमें उनके साथ अभिनेता देवानंद मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में हेमा और देवानंद की जोड़ी को दर्शकों ने सिर आंखों पर लिया और फिल्म सुपरहिट रही। 

हेमा मालिनी को प्रारंभिक सफलता दिलाने में निर्माता.निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्मों का बड़ा योगदान रहा। उन्हें पहला बड़ा ब्रेक उनकी ही फिल्म (अंदाज)1971 से मिला। इसे महज संयोग कहा जाएगा कि निर्देशक के रूप में रमेश सिप्पी की यह पहली फिल्म थी। इस फिल्म में हेमा मालिनी ने राजेश खन्ना की प्रेयसी की भूमिका निभाई जो उनकी मौत के बाद नितांत अकेली हो जाती है। अपने इस किरदार को हेमा मालिनी ने इतनी संजीदगीकि दर्शक उस भूमिका को आज भी भूल नहीं पाए हैं।

वर्ष 1972 में हेमा मालिनी को रमेश सिप्पी की ही फिल्म (सीता और गीता) में काम करने का अवसर मिला जो उनके सिने कैरियर के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इस फिल्म की सफलता के बाद वह शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचीं। उन्हें इस फिल्म में दमदार अभिनय केलिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। रमेश सिप्पी निर्देशित फिल्म सीता और गीता में जुड.वा बहनों की कहानी थी जिनमें एक बहन ग्रामीण परिवेश में पली. बढ़ी है और डरी सहमी रहती है जबकि दूसरी तेज तर्रार युवती होती है।

हेमा मालिनी के लिए यह किरदार काफी चुनौती भरा था लेकिन उन्होंने अपने सहज अभिनय से न सिर्फ इसे अमर बना दिया बल्कि भविष्य की पीढ़ी की अभिनेत्रियों के लिए इसे उदाहरण के रूप में पेश किया। बाद में इसी से प्रेरित होकर फिल्म चालबाज का निर्माण किया गया जिसमें दोहरी भूमिका वाली बहनों का किरदार श्रीदेवी ने निभाया।

हेमा मालिनी सीता और गीता से फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत की बुलंदियों पर पहुंची लेकिन दिलचस्प बात यह है कि फिल्म के निर्माण के समय निर्देशक रमेश सिप्पी नायिका की भूमिका के लिए मुमताज का चयन करना चाहते थे लेकिन किसी कारण से वह यह फिल्म नहीं कर सकी। बाद में हेमा मालिनी को इस फिल्म में काम करने का अवसर मिला।

धर्मेन्द्र के साथ जोड़ी जमी, जीवन साथी भी बने

परदे पर हेमा मालिनी की जोड़ी धर्मेन्द्र के साथ खूब जमी। यह फिल्मी जोड़ी सबसे पहले फिल्म (शराफत) से चर्चा में आई। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फिल्म (शोले) में धर्मेन्द्र ने वीरु और हेमामालिनी ने बसंती की भूमिका में दर्शकों का भरपूर मनोंरजन किया। हेमा और धमेन्द्र की यह जोड़ी इतनी अधिक पसंद की गई कि धर्मेन्द्र की रील लाइफ की (ड्रीम गर्ल) हेमामालिनी उनके रीयल लाइफ की ड्रीम गर्ल बन गईं। बाद में इस जोड़ी ने ड्रीम गर्ल, चरस आसपास प्रतिग्या राजा जानी रजिया सुल्तान अली बाबा चालीस चोर, बगावत, आतंक, द बर्निंग ट्रेन, चरस और दोस्त आदि फिल्मों में काम किया।

1975 सिने कैरियर का अहम मोड़

वर्ष 1975 हेमा मालिनी के सिने कैरियर का अहम पड़ाव साबित हुआ। इस वर्ष उनकी संन्यासी धर्मात्मा खूशबू और प्रतिज्ञा जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुई। उसी वर्ष हेमा मालिनी को अपने प्रिय निर्देशक रमेश सिप्पी की फिल्म (शोले) में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अपने अल्हड. अंदाज से हेमा मालिनी ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। फिल्म में हेमा मालिनी के कई डॉयलॉग उन दिनों दर्शकों की जुबान पर चढ. गए और आज भी सिने प्रेमी उन संवादों की चर्चा करते हैं। जैसे घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या और वैसे तो हमें ज्यादा बोलने की आदत नहीं है।

खुशबू, किनारा और मीरा यादगार फिल्में
सत्तर के दशक में हेमा मालिनी पर आरोप लगने लगे कि वह केवल ग्लैमर वाले किरदार ही निभा सकती है लेकिन उन्होंने खुशबू 1975 किनारा 1977 और मीरा 1979 जैसी फिल्मों में संजीदा किरदार निभाकर अपने आलोचकों का मुंह हमेशा के लिए बंद कर दिया। इस दौरान हेमा मालिनी के सौंदर्य और अभिनयका जलवा छाया हुआ था। इसी को देखते हुए निर्माता प्रमोद चक्रवर्ती ने उन्हें लेकर फिल्म .ड्रीम गर्ल .का निर्माण तक कर दिया।

टीवी के लिए भी काम किया
वर्ष 1990 में हेमा मालिनी ने छोटे पर्दे की ओर भी रूख किया और धारावाहिक नुपूर का निर्देशन भी किया। इसके बाद वर्ष 1992 में फिल्म अभिनेता शाहरूख खान को लेकर उन्होंने फिल्म (दिल आशना है) का निर्माण और निर्देशन किया। वर्ष 1995 में उन्होंने छोटे पर्दे के लिए। मोहिनी .का निर्माण और निर्देशन किया।

राजनीति के मैदान में भी उतरीं

फिल्मों में कई भूमिकाएं निभाने के बाद हेमा मालिनी ने समाज सेवा के लिए राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य सभा की सदस्य बनीं। हेमा मालिनी को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1999 में फिल्मफेयर का लाइफटाइम एचीवमेंट से भी सम्मानित की गईं।

150 फिल्मों में काम किया
हेमा ने अपने चार दशक के सिने कैरयिर में लगभग 150 फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ उल्लेखनीय फिल्में हैं: सीता और गीता 1972, प्रेम नगर अमीर गरीब 1974, शोले 1975, महबूबा, चरस 1976, , त्रिशूल 1978, मीरा 1979, कुदरत, नसीब,क्रांति 1980, अंधा कानून, रजिया सुल्तान 1983, रिहाई 1988, जमाई राजा 1990, बागबान 2003, वीर जारा 2004, आदि।

अंत में हेमा तारीफ के काबिल हैं कि आज उम्र के इस दौर में भी वो काफी खूबसूरत लगती हैं जबकि उनकी उम्र की अन्य हिरोइन या उनसे 5-10 साल छोटी हिरोइनों पर उम्र का असर साफ दिखाई देने लगा हैं। आप रेखा को ही देख लिजिए वे अब उतनी आकर्षक नहीं लगती। इस मामले में अमिताभ और हेमा जी दोनों की ताऱीफ करनी होगी कि वे इस उम्र में भी इतने अच्छे दिखते हैं। बागबान में इनकी जोड़ी कितनी जमती है।

हां एक बात और हेमाजी कमाल की नृत्यांगना हैं उनके अच्छे स्वस्थ और आकर्षक काया का राज नृत्य का निरंतर अभ्यास भी है। हेमाजी को जन्मदिन की ढे़र सारी शुभकामनाएं। वे स्वस्थ और सुंदर बनी रहें यही दुआ है।

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