*image credit IPRD, Jharkhand

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि लघु वन उपज का लाभ सुदूर गांवो में निवास करने वाले आदिवासी एवं अन्य वर्गों के निम्न आय के परिवारों को मिलता है। इन समुदायों के लिए रोजगार का एक मुख्य साधन वनोपज ही है। सुदूर ग्रामीण एवं वन क्षेत्र में रह रहे लोग लाह, इमली, करंज जैसे वनोपज से अपनी आजीविका के साधन एकत्रित करते हैं। वनोपज को बढ़ावा देकर अधिक से अधिक रोजगार सृजन करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। इस हेतु झारखण्ड वन उपज सलाहकार समिति द्वारा झारखण्ड वन उपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम 1984 की धारा-6 के अन्तर्गत आने वाले ग्रेड-1 में चिरान लकड़ी, गोल लकड़ी, पोल, फेंसिंग पोस्ट, जलावन एवं खैर प्रकाष्ठ के क्रय दर में वर्ष 2018 के लिए वर्ष 2017 के दर में 4 प्रतिषत की वृद्धि का निर्णय लिया है। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने आज झारखण्ड मंत्रालय में आयोजित झारखण्ड वनोपज सलाहकार समिति की बैठक में कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय से सुदूर वन क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी एवं अन्य वर्गों के परिवारों को अधिक लाभ होगा। 

बैठक में सांसद जमषेदपुर विद्युत वरण महतो, विधायक गुमला षिव शंकर उरांव, विधायक बगोदर नागेन्द्र महतो, मुख्य सचिव झारखण्ड सुधीर त्रिपाठी, अपर मुख्य सचिव  इंदू शेखर चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डाॅ.सुनील कुमार वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक  संजय कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह प्रबंध निदेषक एच.एस.गुप्ता, मानकी मुण्डा, पाहन प्रमुख छोटानागपुर क्षेत्र गोविन्द भोगता सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
 

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