एक वक़्त था, जब ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं का घर-घर तक पहुंचना एक सपना मात्र था, लेकिन आज सखी  मंडल की बहनें बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी के रूप में इस सपने को साकार कर रही हैं। 

ग्रामीण विकास विभाग के तहत झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के अंतर्गत राज्य भर में 4,619 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी कार्यरत हैं, जो ग्रामीणों तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचा रही हैं।

4619 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी हर माह कर रहीं करीब 120 करोड़ का लेन-देन

राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को डोरस्टेप पर पहुंचाने के लिए 4619 बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखियां कार्य कर रही हैं। ये सभी बीसी सखियां सखी मंडल के द्वारा चयनित हैं। राज्य की बीसी सखियां हर माह ग्रामीण इलाके से 120 करोड़ रुपये का लेन-देन करती हैं। वहीं हर माह करीब 2.7 लाख लोगों द्वारा ट्रांजेक्शन किया जा रहा है।इस परियोजना की सूरवात मोदी सरकार द्वारा २०१६ में हुवा। आज झारखंड में हेमंत सरकार इस योजना को आगे बड़ा रही है।

बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी के जरिए सुदूर गांवों में बैंकिंग सुविधाएं अब लोगों को डोरस्टेप पर मिल रही है। सुदूर गांवों में खाता खोलना, जमा-निकासी, बीमा, सखी मंडलों की जमा निकासी, पेंशन एवं छात्रवृत्ति भुगतान जैसी सभी सेवाएं लोगों को दरवाजे पर उपलब्ध हो रही हैं। इससे बुजुर्गों एवं अन्य जरुरतमंदों को अपनी पेंशन की राशि घर बैठे मिल रही है।

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हर माह साइस्ता परवीन करती हैं करीब 1 करोड़ का लेन-देन ।

पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा की साइस्ता परवीन हर महीने करीब 1 करोड़ रुपये का लेन-देन करती हैं। वहीं गुमला की निशा देवी हर महीने करीब 1.08 करोड़ रुपये का लेन-देन करती हैं। इस पहल से एक ओर जहां गांव की दीदियों को बीसी सखी के रूप में स्वरोजगार उपलब्ध हो रहा है, वहीं सुदूर गांव के हर परिवार तक उनके दरवाजे पर बैंकिंग सेवाएं भी पहुंच पा रही हैं। 
 
खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड की सोनिया कंसारी बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी हैं। वह अपने पंचायत के लोगों तक निरंतर बैंकिंग सुविधाएं पहुंचा रही हैं| पैसा जमा-निकासी से लेकर बीमा तक की सभी सेवाएं सोनिया लोगों को घर-घर जाकर प्रदान कर रही हैं| सोनिया हर महीने 25-30 लाख रुपए तक का लेन-देन कर लेती हैं| 

अपना अनुभव साझा करते हुए सोनिया कहती हैं, “कोविड के मुश्किल समय में भी मैं घर-घर जाकर कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करते हुए लोगों तक सुविधाए पहुंचा रही हूं| मुझे इस काम से बहुत प्रसन्नता एवं गर्व महसूस होता है कि मैं मुसीबत में लोगो के काम आ रही हूं और अच्छी आमदनी भी कर रही हूं। ” 

बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखियों की वजह से अब गांव के लाचार एवं बुजुर्ग लोगों को घर बैठे पेंशन व अन्य जमा निकासी की सुविधा मिल रही है। जिसकी वजह से उन्हें अपने पैसे खर्च कर बैंक का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ता है।

"ग्रामीण इलाके में बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी पहल की जरुरत एवं महत्ता को देखते हुए राज्य में कार्यरत 3471 डीजी पे सखियों को बैंकिंग कॉरेस्पोंडेट सखी के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। इस कड़ी में सभी बैंकों को जरूरी सहयोग करने को कहा गया है। वर्तमान में डीजी पे सखियां सिर्फ आधार आधारित जमा निकासी की सेवा देती हैं। बीसी सखी के रूप में नियुक्ति के बाद वे जमा, निकासी, छात्रवृत्ति, पेंशन, सखी मंडल के खाते से लेन-देन, खाता खोलना एवं बीमा जैसी सभी सेवाएं दे सकेंगी। इस पहल से उनकी आमदनी भी बढ़ेंगी एवं लोगों को बैंकिंग सेवाएं घर के दरवाजे पर उपलब्ध होगा।"

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