झारखंड में एक बार फिर शराब का खेल चल रहा है । इस खेल में बड़े कम्पनी जो अच्छी शराब बेचते है, उनको अब दुकान बंद करना हो सकता है ।

और उनके बदले जो कम्पनी छत्तीसगढ़ में शराब बेचते है , उन्हें ही झारखंड राज्य में दुकान खोलने की लाइसेन्स मिलेगी। ऐसा अफ़वाह सत्ता के दिवारों में सुना जा सकता है ।

अंदरूनी सूचना ये है की ये शराब का गेम करोड़ में करोड़ का शोदा है।कोन- अधिकारी या सरकार को चलने वाले लोग - इससे सबसे जादा मलो माल होंग़े? कोई नही जनता। कुछ लोग और पत्रकार सूचना कलेक्ट कर रहे है ।

जो भी हो, अच्छी शराब पीने वालों को झारखंड में बड़ा चोट लगने वाला है । और हेमंत सरकार अभी राज्य में शराब नीति के बदलाव लाने में लगी हुई है ।सूचना के अनुसार ये  बदलाव “छत्तीसगढ़ माॅडल” के आधार पर पेश किया जा रहा है ।

याद करे इससे पूर्व की रघुवर सरकार ने भी शराब नीति बनायी थी जिसके चलते कुछ ही कम्पनी को राज्य में शराब बेचने का lisence दिया गया था। और वो भी एक बड़ा “शराब” का राजनीतिक कारोबार था। लेकिन वो कारोबार बहुत दिन टिक नही पाया। 

इस बार फिर से राज्य में उसी तरह का क़ानून लागू हाे सकती है। इसको लागू करने के लिए और उससे मालो माल होने के लिए सरकार कह रही गई की ये “छत्तीसगढ़ माॅडल” है । कोई ग़लत बात नही ।

और फिर झारखंड में सरकार ये भी लॉजिक दे रही है की राज्य में शराब से ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्त हाे सके, इसके लिए हाल में ही आईएएस प्रशांत सिंह के नेतृत्व में अफसरों की टीम ने छत्तीसगढ़ की शराब नीति का अध्ययन कर रिपोर्ट सरकार को साैंपी थी। 

“जिसके बाद विभाग की ओर से एक प्रस्ताव तैयार कर मंत्री जगरनाथ महताे के पास भेजा गया था। जिसमें राज्य में शराब से राजस्व बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड को परामर्शी के रूप में राज्य में नियुक्त करने की बात है।”( ये खबर दैनिक भास्कर.काम  में आज दिनांक १७ जनवरी,२०२२ में प्रकाशित  हो चुकी है )

इसी रिपोर्ट के अनुसार मंत्री ने संबंधित प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिया है। इसके बाद अब प्रस्ताव काे विधि विभाग और वित्त विभाग भेजा जाएगा। दाेनाें से सहमति मिलने के बाद यह मामला कैबिनेट में जाएगा।

“ जाे जानकारी मिल रही है उसके अनुसार जैसे ही परामर्शी की नियुक्ति पर मुहर लगती है, उसके बाद राज्य में छत्तीसगढ़ माॅडल लागू करने की दिशा में सरकार बढ़ जाएगी। इसके बाद राज्य की शराब नीति में एक बार फिर बदलाव हाे सकता है।

ढाई साल पहले 1 अगस्त 2017 से 21 मार्च 2019 तक खुदरा उत्पाद दुकानों को झारखंड बेवरेजेज कॉरपोरेशन के द्वारा चलाने पर राजस्व क्षति के कारण वर्ष 2019-20 में खुदरा बिक्री निजी व्यवसायियों को दे दिया गया था, जिससे राजस्व में वृद्धि हुई।ऐसा लॉजिक सरकार दे रही है ।

 दैनिक भास्कर. काम ने अपनी रिपोर्ट में सही लिखा है । “शराब की खुदरा बिक्री निजी हाथों से लेकर जेएसबीसीएल द्वारा किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में पिछले 5 वर्षों में राजस्व वृद्धि में प्रतिवर्ष 10% से भी कम की वृद्धि हुई, जबकि देसी, विदेशी शराब और बीयर की मात्रा में गिरावट दर्ज की गई।

चालू वित्तीय वर्ष में ही थाेक बिक्री काे बेवरेजेज कॉरपोरेशन से लेकर निजी हाथाें में साैंपा गया है और एक बार फिर इसे सरकार अपने हाथाें में लेने जा रही है। थोक शराब नीति में जाे बदलाव किया गया था, उसमें 25 लाख रुपए का नन रिफंडेबल शुल्क लेकर थोक शराब नीति में हिस्सा लेने के लिए कारोबारियों को बुलाया गया। इतनी बड़ी रकम होने की वजह से कुछ ही शराब कारोबारी शामिल हो पाए।

बताया जा रहा है कि इसकी वजह से कुछ खास लाेगाें का ही इस पर कब्जा हाे गया। सरकार पर यह आरोप लगा कि कारोबार की टैक्स नीति में बिना राजस्व पर्षद की सहमति के ही बदलाव किया गया, जो नियमसंगत नहीं है। इसी वजह से एक बार फिर सिंडिकेट काे बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी चल रही है।”

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