एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स ट्रस्ट (आली) की ओर से रांची के ग्रीन होराइजन होटल में 27 जून 2022 को एक शोध प्रकाशन किया गया है, जिसका विषय था ’Disrupting Everyday Silences’ महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 की झारखंड में कार्यान्वयन की स्थिति |
आली द्वारा किया गया यह शोध की रिपोर्ट झारखंड में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की गवाही देने वाली महिला श्रमिकों की आवाज़ो का दस्तावेजीकरण करने का पहला प्रयास है। यह रिपोर्ट उपचारात्मक प्रक्रिया के निर्माण और कार्यप्रणाली में गैप और चुनौतियों की पहचान करने की कोशिश करती है जो महिलाओं की न्याय तक पहुंच में बाधा बन जाती हैं।
शोध रिपोर्ट में आये कुछ निष्कर्ष इस प्रकार थे कि अनौपचारिक और औपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली 46% महिलाओं ने ऐसे कृत्य और व्यवहार का सामना किया है जिनको यौन उत्पीडन की श्रेणी में डाला जा साकता है, जिन महिलाओं ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की घटनाये साझा की उन मे से 50% महिलाओं ने इसके सम्बन्ध में कहीं भी शिकायत नहीं की|
 काफी बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने कहा की उन्हें नहीं पता था कि कहाँ और किससे शिकायत की जा सकती है| लगभग 60% उत्तरदाताओं को ये पता नहीं था कि वे कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही भी कर सकते हैं|
जिला प्रशासन से प्राप्त आंकड़े से पता चला है कि झारखण्ड में 14 में से 10 जिलों में स्थानीय समितियां बनी हुई हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर वर्ष 2019 से 2021 के बीच बनी हैं, सैंपल में लिए गए झारखण्ड के जिलों की स्थानीय समितियां अधिकतर निष्क्रिय हैं अर्थात किसी में भी कभी कोई शिकायत नहीं दर्ज हुई है, जिला अधिकारी कार्यालय में 14 में से केवल सात जिलों में आंतरिक समितियां बनी हैं और वे निष्क्रिय हैं|
अध्ययन के बाद कुछ सिफारिशें की गयी हैं जैसे, सभी जिलों के जिला अधिकारियों द्वारा तत्काल स्थानीय समितियों का गठन, सरकारी कार्यालयों में जहां कर्मचारियों की संख्या 10 या अधिक है वहां आंतरिक समितियों का तत्काल गठन किया जाए, आंतरिक समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों को उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के संबंध में प्रशिक्षण दिया
जाना चाहिए साथ ही जेंडर संवेदनशील कार्यशालाओं का आयोजन करना चाहिए, स्थानीय समिति के कार्यों और सदस्यों के संपर्कों का विवरण कार्यालय के बाहर प्रदर्शित किया जाना चाहिए, कानून के अनुसार नोडल अधिकारियों की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण किया जाना चाहिए, अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को अधिनियम के संबंध में जानकारी प्रदान करने के लिए नियमित जागरूकता अभियानों की योजना बनानी चाहिए। इसके लिए बजटीय आवंटन भी किया जाना चाहिए।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य सभा सदस्य डॉ. महुआ मांझी ने आकर शोध की अनुशंषाओं को सदन में उठाकर आगे ले जाने की हामी भरी है| आली की कार्यकारी निदेशक रेणु मीश्रा ने शोध के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए कानून की जानकारी दी और साथ ही कहा की राज्य के साथ – साथ हम सब भी अपनी ज़िम्मेदारी को पहचाने और आवाज़ उठाये हम जिस जनपद में रहते हैं वंहा के 10 कार्यालय में जाकर आन्तरिक समिति का गठन हुआ है की नही |
पैनल डिस्कशन में ऋचा चौधरी AFC India Ltd. की , राज्य कार्यक्रम निदेशक और सची कुमारी , छोटा नागपुर संस्कृतिक संघ की फाउंडर जिसकी अध्यक्षता आली की कार्यकारी निदेशक रेणु मिश्रा द्वारा की गयी , जिसमे विस्तृत रूप से कार्यस्थल पर आने वाले चुनौतियों और आंतरिक समिति को कैसे सक्रिय बनाये और नियोक्ता की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की बात की गयी | गैर सरकारी संस्थाओं के कुल 85 सदस्यों ने भाग लिया और कार्यक्रम का संचालन आली की राज्य सम्न्यवयक रेशमा सिंह द्वारा किया गया|