केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय ने हमारे जनजातीय समुदायों के उनके अपने पारंपरिक तरीकों को सुरक्षित व प्रोत्साहित करते हुये उनके स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करने का प्रयास किया है। इस क्रम में, झारखंड के सरायकेला-खरसवां में एक मेगा स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था की जा रही है।
 
इस शिविर का लक्ष्य है अपने जनजातीय भाइयों और बहनों को उनके अपने स्वास्थ्य की स्थिति तय करने में सक्रिय रूप से संलग्न करना। साथ ही, चिकित्सा करने के उनके पारंपरिक तरीकों को इसमें शामिल किया गया है तथा खुद को स्वस्थ रखने के उनके उपायों को कायम रखना भी इसके दायरे में है। जनजातीय भाइयों-बहनों को बेहतरीन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का समान अधिकार भी देने का लक्ष्य है।
 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के शानदार नेतृत्व में, मंत्रालय ने “बेहतर भविष्य के लिये बेहतर स्वास्थ्य” का आह्वान किया है।
 
मेगा स्वास्थ्य शिविर प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की धरती झारखंड के सरायकेला-खरसवां में स्थित काशी शाहू कॉलेज (केएससी) में चार दिसंबर को आयोजित किया जायेगा। यह स्वास्थ्य शिविर “अबुआ बुगिन स्वास्थ्य,” यानी ‘हमारा बेहतर स्वास्थ्य’ विषयक विस्तृत कार्यक्रम का हिस्सा है। अन्य बातों के साथ इस कार्यक्रम का लक्ष्य है देश भर के अनुसूचित जनजाति के लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य जांच सेवा प्रदान करके और मुफ्त चिकित्सा उपकरण वितरित करके उनके लिये बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करना। 
 
इस कार्य में जनजातीय कार्य मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, आयुष मंत्रालय, टाटा स्टील फाउंडेशन और जिला प्रशासन के प्रयास शामिल हैं। इसके जरिये अपोलो, फोर्टिस, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, एम्स आदि जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञ डॉक्टर सुदूर जनजातीय इलाकों में जायेंगे तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों की जांच व निदान करेंगे तथा उनका समुचित समाधान निकालेंगे। इस शिविर को सफल बनाने के लिये ट्राइफेड, एनएसटीएफडीसी और ईएममआरएस का भी सहयोग लिया जा रहा है।
 
इस एकदिवसीय स्वास्थ्य शिविर के जरिये लगभग 40 से 50 हजार जनजातीय लोगों की सेवा होगी। यह शिविर भी पिछले शिविर की तरह ही सफल होगा। पिछला शिविर 26 जून, 2022 को खूंटी जिले में लगाया गया था।

इस स्वास्थ्य शिविर का केंद्रीय उद्देश्य है उन तीन प्रकार की बीमारियों के बोझ से मुक्ति दिलाना जो हमारे जनजातीय समुदाय के लोगों के स्वास्थ्य को पंगु कर देती हैं। इनमें पहली श्रेणी है टीबी, कुष्ठ, एचआईवी, हेपेटाइटिस आदि जैसे संचारी रोग; दूसरी श्रेणी में हैं स्तन और गर्भाशय का कैंसर, सिकिल सेल विकार, हृदय रोग, चर्म रोग, स्नायु रोग, दंत चिकित्सा; और तीसरी श्रेणी में मातृ-बाल स्वास्थ्य पोषण (एमसीएचएन+ए) सहित कुपोषण तथा किशोर स्वास्थ्य शामिल हैं। इन रोगों की जांच और उनके निदान व रोकथाम के उपाय स्वास्थ्य शिविर में किये जायेंगे।

 *मेगा स्वास्थ्य शिविर में मिलने वाली अन्य सुविधायें:*
 
●    दवाओं, कृत्रिम अंगों और सहायक यंत्रों व उपकरणों का निशुल्क वितरण
●    नेत्र शिविर का आयोजन, जिसमें आंखों की जांच की जायेगी और ऐनकों का निशुल्क वितरण किया जायेगा
●    वृद्धों की सेवा-सुश्रुषा
●    खून की जांच आदि
●    आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड को सुगम बनाने की व्यवस्था

आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड के लिये स्वास्थ्य शिविरों में आने वाली जनजातीय समुदाय के लोगों से आग्रह किया गया है कि वे अपने आधार कार्ड और राशन कार्ड साथ लायें। आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड से उन्हें किसी भी सरकारी या मान्यताप्राप्त निजी अस्पताल में हर वर्ष पांच लाख रुपये तक का निशुल्क उपचार मिलता है।

जनजातीय कार्य मंत्रालय ने मुख्य रूप से इस स्वास्थ्य शिविर का दायित्व इसलिए उठाया है ताकि एक विशेष कार्य-योजना के जरिये जनजातीय समुदाय के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार आये। यह कार्य सबके लिये स्वास्थ्य के लक्ष्य को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, खासतौर से हमारी अत्यंत संवेदनशील व कमजोर जनजातीय आबादी के लिये।

आजादी के अमृत महोत्सव के क्रम में इस स्वास्थ्य शिविर का लक्ष्य है हमारे जनजातीय समुदायों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हुए भारत को स्वस्थ्य व मजबूत बनाने की दिशा में आगे कदम बढ़ाना। 
 

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