राँची योगोत्सव के द्वितीय दिवस पर श्री अरविंदो आश्रम में प्रातः 6 से 7:30 स्वामी गोरखनाथ सरस्वती ने तनाव भरे जीवन में खुशी के सरगम बजते रहें इसके लिए उन्होंने नाड़ीशोधन और भ्रामरी प्राणायाम की महत्ता पर प्रकाश डाले।
उन्होंने कहा सत्यानन्द योग परम्परा जिसे बिहार योग पद्धति भी कहते हैं वह मनुष्य को पूर्ण स्वास्थ्य,शान्ति और सौहार्द को देने वाला है।
योग कभी व्यायाम नहीं हो सकता है जिसे जैसे मन करे हम कर लें। ऐसा अभ्यास फलदायी कम और नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहती है। बहुत हल्के और सरल योगासन जैसे कि मार्जारी, व्याघ्रासन, शशांकासन और उष्ट्रासन का अभ्यास दीर्घकालिक कमर और पीठ दर्द को ठीक कर देता है।
प्राणायाम में नाड़ीशोधन और भ्रामरी दीर्घकालिक सिरदर्द, अनिद्रा, चिन्ता, तनाव और रक्तचाप दोष को ठीक कर सकता है। हमलोग भ्रामरी प्राणायाम को तो मात्र तीन बार करके खत्म कर देते हैं जबकि आज के मनुष्य को भ्रामरी प्राणयाम की ही ज्यादा जरूरत है। मस्तिष्क की उत्तेजना, चिन्ता, क्रोध और तनाव को खत्म करने में सबसे ज्यादा कारगर है भ्रामरी प्राणयाम। बिहार योग विद्यालय का ट्रेडमार्क है नाड़ीशोधन और भ्रामरी।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए आप को अपने भोजन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।भोजन करते वक्त जो व्यक्ति क्रोध करता है, चिन्ता करता है या दूसरों पर दोषारोपण करते रहता है वह व्यक्ति भोजन नहीं बल्कि जहर को खा रहा है क्योंकि उस स्थिति में आप के भीतर बनने वाले हार्मोन जहर बनाने लगते हैं।
 भोजन हमेशा रुचिकर,सात्विक और अच्छे सुविचार के साथ ग्रहण करना चाहिए। उस वक्त तो बातचीत भी नहीं करनी चाहिये लेकिन बिडम्बना है कि हमलोग भोजन करते समय ही खूब बात करते हैं और टेलीविजन देखते रहते हैं। यह आदत मधुमेह को जन्म नहीं देगा तो और क्या करेगा ? हमें अपने स्वास्थ्य के लिये मानशिकता को बदलना होगा।
संन्यासी मुक्तरथ,आदित्य कुमार और रूपम योग कक्षा का प्रबंधन कर रहे हैं।योग कक्षा का समय प्रातः 6 से 7:30 एवं अपराह्