आज दिनांक:17 मई,शनिवार को डीएवी गाँधीनगर पब्लिक स्कूल(सीसीएल) के विद्यार्थियों के समर कैम्प में योगाभ्यास कक्षा का संचालन स्वामी मुक्तरथ जी के सान्निध्य में हुआ। इस कक्षा में तीन सौ बच्चों ने भाग लिया।
स्वामी मुक्तरथ ने बच्चों को संबोधित करते हुए योग के कई रहस्यमय बातों की जानकारी दिये। उन्होंने कहा बहुत से बच्चे होते हैं जिसमें प्रतिभा तो होती है पर वो अंदर ही दबी पड़ी रहती है,उसका विकाश नहीं हो पाता है जिस वजह से बच्चे बहुत अच्छा नहीं कर पाते हैं ,जीवन की सफलता से पीछे रह जाते हैं। अपने लक्ष्य से दूर हो जाते हैं। दूसरे तरफ कुछ चंचल मन वाले बच्चे होते हैं जो अपने विषय में फोकस नहीं कर पाते हैं औऱ एकाग्रचित न हो पाने के कारण रिजल्ट में बेहतर नहीं कर पाते हैं।
भारतवर्ष में सदियों से योग पर बल दिया जाता रहा है और बच्चों का उपनयन संस्कार भी योग साधनाओं से ही सम्पन्न एक विधि है। सूर्यनमस्कार, नाड़ीशोधन प्राणायाम और गायत्री मन्त्र इस उपनयन संस्कार की मूल साधना है जिसको सीखकर बच्चे शारीरिक औऱ मानशिक रूप से बलबान होते थे। उनकी एकग्रता की क्षमता विकसित होती थी और सामाजिक रूप से बच्चों में नेतृत्व क्षमता का विकास होता था।
यह सब योग का ही परिणाम था। योग शारीरिक व्यायाम नहीं है,यह साधनात्मक मानशिक तप है जो दबी पड़ी कुंठित संस्कारों को उजागर करता है। सुस्त प्रवृति वाले बच्चे को मानशिक रूप से सक्रिय बनाता है और अति चंचल मन वाले बच्चों के दिमाग को शांत करता है।
विद्यालय के प्राचार्य पी के झा स्वामी मुक्तरथ को सुंदर पौधे और शॉल भेंट कर स्वागत किये तथा डीएवी विद्यालय में बड़े क्लास के बच्चों को मेडिटेशन की विशेष कक्षा लेने हेतू आग्रह किये हैं ताकि विद्यालय में बच्चों का सर्वांगीण विकाश हो। श्री झा ने कहा कि वर्तमान समय में योग की बहुत जरूरत है।
योग के अभाव में कम उम्र में ही कई प्रकार की समस्यायें आने लगी है और बैचारिक रूप से व्यक्ति बीमार हो रहे हैं। हमें विद्या के साथ राष्ट्रीय और सामाजिक रूप से भी गुणवान,नैतिक सम्पन्न होने चाहिये।
स्वामी मुक्तरथ और इनके दो सहयोगी रोहित कुमार और केशव कुमार ने बच्चों को ताड़ासन,कटि चालन, त्रिकोणासन, बज्रासन,शशांकासन, तितली आसन, पद्मासन,उष्ट्रासन और भ्रामरी प्राणायाम तथा ध्यान का अभ्यास कराये।