*(From Right to Left) Amitabh Choudhary, Chairman, JPSC, Manoj Prasad, Senior Journalist/ Editor, JharkhandStateNews.Com, SK Satapathy, Member Human Rights Commission, Member Jharkhand and RR Prasad, Ex -DGP, Jharkhand

तीन दिन बाद।रांची की महत्वपूर्ण धार्मिक पहचान और लाखों लोगों की श्रद्धा और आस्था के केन्द्र कामड़े बाबा और कामड़े आश्रम को समर्पित पुस्तक विश फुलफिलर का विमोचन 13 अगस्त 2021 शुक्रवार को झारखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन के जेएससीए अंतराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में समपन हूवा.आज कमरे बाबा की एक भक्त ने इस पुस्तक को पड़ने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी।

“ ए kamrde बाबा पर बहुत अच्छी पुस्तक है। इसे पड़ कर ए लगा की लेखक मनोज प्रसाद जी ने गहन adhyan कर इसे लिखा है।काफ़ी जाँच पड़ताल कर बाबा के बारे में लिखा गया है।”, पल्लवी लाल, बाबा की भक्त जो श्री कमरे बाबा आश्रम में बाबा से मिल चुकी है ।

इस पुस्तक का विमोचन झारखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री अमिताभ चौधरी ने किया । इस अवसर पर कई गण्य मान लोग जैसे श्री र र प्रसाद, पूर्व DGP, झारखंड, SK Satapathy, ह्यूमन राइट्स कमिशन के मेम्बर, मनीष रंजन,झारखंड  ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और अम्बरीश जी इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित थे।

साथ में उपस्थित थे श्री कमरेड बाबा आश्रम ट्रस्ट के सचिव बिपिन नाथ, अध्यक्ष श्री शर्माजी और पुजारी पवन भट्ट।

इस संबंध में जानकारी देते हुए इस पुस्तक के लेखक ओर वरिष्ठ पत्रकार और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म झारखण्ड स्टेट न्यूज के संपादक मनोज प्रसाद ने बताया कि महान संत और राजयोग के महाज्ञाता कामड़े बाबा के सन्दर्भ में उनके भक्तों और श्रद्धालुओं के संस्मरण पर आधारित यह ऐसी पहली पुस्तक है जिसमें भावनाओं को समेटने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा कि कल्पना की सीमा से परे जाकर कामड़े बाबा ने वैसी आध्यात्मिक उपलब्धियाँ प्राप्त की जो अद्भुत है लेकिन उन उपलब्धियों और अपने महाज्ञान का सदुपयोग उन्होंने आम जनता के हित एवं पूरी तरह सकारात्मक - रचनात्मक कार्यों में किया.

इस महत्वाकांक्षी पुस्तक का विमोचन जेएससीए स्टेडियम के फॅमिली लाउंज में किया जायेगा.

चार दशक से पूर्व महासमाधि लेनेवाले कामड़े बाबा की यादें और उनकी अध्यात्मिक उपलब्धियों की झलक आज भी कामड़े आश्रम में महसूस की जा सकती है.

कामड़े बाबा के संस्मरणों पर आधारित पुस्तक "इच्छा पूर्तिकर्ता" को श्री कामरड़े बाबा आश्रम ट्रस्ट के द्वारा प्रकाशित किया गया है. लेकिन मनोज प्रसाद ने बताया कि पुस्तक तीन दशकों से भी अधिक की अवधि के दौरान एकत्रित शोध सामग्री से भरी है। उन्होंने कहा कि इस सम्पूर्ण पृष्ठभूमि में दुर्लभ योगी कामड़े बाबा का तथ्यात्मक विवरण एकत्रित करने में उन्हें अनेक महत्वपूर्ण लोगों और श्रद्धालुओं का सहयोग मिला और इसी के कारण इस विषय पर पुस्तक प्रकाशन संभव हो सका।

कामड़े बाबा इस जगत में आये. यह रांची और झारखण्ड का सौभाग्य है कि उन्होंने कामड़े को अपनी सम्पूर्ण आध्यात्मिक गतिविधियों का केन्द्र बनाया, सेवा की और अपने हज़ारों भक्तों एवं सैकड़ों कलाकृतियों को छोड़कर वे चले गये. यद्यपि उनका वास्तविक नाम, जन्म स्थान, अधिवास, परिवार और शिक्षा अभी भी अज्ञात है. कामड़े बाबा ने शास्त्रीय दक्षिण की ओर सफेद संगमरमर वाली शिव प्रतिमा और कामरड़े में अष्ट धातु से बनी हनुमान प्रतिमा के रूप में किस प्रकार आश्रम को आध्यात्मिक उँचाई दी, ऐसी अनेक बातों की चर्चा इस पुस्तक में है. इसके अलावा श्री प्रसाद ने पुस्तक में कामड़े बाबा द्वारा दलितों के लिए स्थापित आवासीय स्कूल, एक मेडिकेयर सेल और कामड़े बाबा द्वारा ही आश्रम के अंदर ग्रेनाइट चट्टानों पर डिजाइन की गयी कुछेक वास्तुकला पर भी प्रकाश डाला है।

ज्ञातव्य है कि कामड़े बाबा 1947 में रांची आये थे और 1974 में रांची से 8 किमी दूर रांची-रातू रोड के कामड़े बाबा आश्रम ट्रस्ट परिसर के अंदर महा समाधि ली थी. समाधि स्थल वह जगह है जहाँ आज भी भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

इस आश्रम में अपने प्रवास के दौरान 26-27 वर्षों तक बीमारियों को ठीक करने के लिए उन्होंने राज योग का उपयोग किया और कई भक्तों के सपनों और आकांक्षाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने का श्रेय भी उन्हें दिया जाता है. इसके अलावा समर्पण की अपनी मजबूत भावना, प्रतिबद्धता और दान के उपयोग को दिखाने के लिए भी उन्होंने कार्य किये.

विश फुलफिलर पुस्तक में कामड़े बाबा के संस्मरण को चार अध्यायों के 70 पृष्ठों को शामिल किया गया है. परम गुरु, आश्रम, कार्यक्रम और भक्तों की डेस्क. अंग्रेजी और हिंदी में लिखित पुस्तक में कामड़े बाबा पर कही गयी हर कथा की प्रमाणिकता के लिये तथ्य, पत्र और तस्वीरें हैं. एक ऐसे आश्रम की विस्तृत चर्चा इस पुस्तक में है जहाँ देश-विदेश के भक्तों का तांता हमेशा लगा रहता है।

कामड़े बाबा आश्रम में कामड़े नदी के किनारे ग्रेनाइट की चट्टानें, छोटी-छोटी पहाड़ियाँ, पेड़, मंदिर परिसर, कामड़े बाबा की समाधि स्थल और भगवान हनुमान और शिव की मंत्रमुग्ध करने वाली मूर्तियाँ हैं जो लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है. सेतु प्रिंटर पर छपी इस पुस्तक की प्रस्तावना, देश के ऊपरी सदन राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश द्वारा लिखी गयी है।
 

 

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