”छह इंजेक्शन को २-५ दिन के अंतराल में देना था, दिया सभी इंजेक्शन छह घंटे के अंदर”, ये आरोप लगाया है मरे बच्चे के परिवार  के सदस्यों ने।

घटना घटी है रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में जहां मचा हंगामा। हंगामा का कारण था एक बच्चे की मोत।सच ए है की सोमवार को चार साल के बच्चे की मौत हो गई।

 मौत के बाद परिजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा करने लगे। मृत बच्चे का नाम सक्षम पांडेय हैं। वह हजारीबाग जिले के पंचमाधव गांव का रहने वाला था। अस्पताल प्रबंधन ने लिखित रूप से दिया है कि बच्चों का न्यूरो फिजिशियन रांची में नहीं है। इस कारण बच्चे की मौत हो गई है।

परिवार ने बताया कि गत 16 मार्च को सक्षम पांडे को बुखार हुआ। इसके बाद बच्चे का इलाज स्थानीय डॉक्टर मनोज जैन से कराया गया। चिकित्सक ने कहा कि थोड़े दिन में बच्चे की हालत ठीक हो जाएगी। परिजनों को स्थिति में सुधार नहीं दिखा।

 परिजन बेहतर इलाज के लिए रानी चिल्ड्रेन अस्पताल पहुंचे। गत 18 मार्च को बच्चे को भर्ती कराया गया। शुरुआती जांच रिपोर्ट में बताया गया कि बच्चा लकवा पीड़ित है और उसके दाये हाथ में लकवा के लक्षण है। इस वजह से बच्चे का हाथ सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। इलाज के लिए 6 इंजेक्शन डॉक्टरों ने लिखा।

परिजनों ने बताया कि छह इंजेक्शन की कीमत लगभग एक लाख रुपये थी। इंजेक्शन देने का समय अंतराल 48 से 60 घंटे थी लेकिन सभी इंजेक्शन छह घंटे के अंदर दे दिया गया। इस वजह से बच्चे की मौत हो गई है। परिजनों ने बताया कि इंजेक्शन बार-बार देने पर मना किया तो चिकित्सकों ने कहा कि क्या आपको हम पर भरोसा नहीं है। मना करने के बावजूद इंजेक्शन लगातार देते रहे। इससे बच्चे की अचानक मौत हो गई।

हंगामा कर रहे परिजनों ने बताया कि एक मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और इस मामले की सही तरीके से जांच किया जाए। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि 10 दिन में पांच लाख खर्च कराया गया है लेकिन बच्चे को जानबूझकर मार दिया। हंगामा कर रहे परिजनों को पुलिस ने शांत कराया और निष्पक्ष जांच कराने का आश्वासन दिया। पुलिस ने कहा कि आपकी हर एक बात की सुनवाई होगी। अस्पताल प्रबंधन के दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन संपर्क किया गया। अब तक आधिकारिक बयान नहीं मिला है।

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