आज मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस के 25 नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है़। दिल्ली में कांग्रेस के हाई कमांड के साथ चिंतन होने की बात कही जा रही है। 

ये चिंतन बैठक में सरकार में शामिल कांग्रेस के मंत्री, वरिष्ठ विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सहयोगी संगठन के पूर्व अध्यक्ष शामिल होंगे. इसमें वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा होने की संभावना है।मंत्रियों के कामकाज को लेकर भी चर्चा की जा सकती है।

इससे पहले कांग्रेस की मित्र पार्टी झामुमो के अंदर हलचल रही है. झामुमो के दो विधायक लोबिन हेंब्रम और सीता सोरेन ने हेमंत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।

उधर कांग्रेस के विधायकों को लेकर भी राजनीतिक गलियारे में खबरें तैयार हो रही हैं. कांग्रेस के नेता और मंत्री बन्ना गुप्ता की पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ मुलाकात की थी। इसके भी मायने निकाले जा रहे हैं. 

प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय जो पिछले दिनों झारखंड दौरे पर आये थे ।ये सब देख कर चुप्पी साध ली है। सरकार के गलियारे में सिर्फ़ एक विषय पर चर्चा सुनी जा रही है - क्या हेमंत सोरेन सरकार गिर रही है?

जवाब सबका अपना अपना लॉजिक पर घुम रहा है? 

जो भी हो, हेमंत सरकार अभी गिरती नज़र नही आ रही।आगे क्या होगा? राजनीति में कुछ नही कहा जा सकता। लेकिन अगर कांग्रेस और झामुमो के कुछ विधायक इधर - उधर भागे भी, तब भी मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन भाजपा का साथ ले कर मुख्य मंत्री बने रह सकते हैं।

लेकिन भाजपा के नेता जन का ये आरोप है कि अधिकारी व पदाधिकारी मंत्री के इशारे पर नियम क़ानून को ताख में रख कर कार्य कर रहे है। जिसका ख़ामियाज़ा आम- अवाम को भुगतना पड़ रहा है।माओवादी हिंसा,चोरी, लूट, हत्या,बालू और कोयला का अवेध उत्खनन व अन्य राज्यों में धरंडले से भेजने का काम किया जा रहा है। ज़िले के अधिकारी भी मुक़दर्सक बंबे हूवे हैं।सरकार पंचायत चुनाव को भी नही करवा पा रही है।

“ हेमंत सोरेन की सरकार पंचायत चुनाव कराने के बजाये लोगों को धोती-साड़ी और पंचायत में शिविर लगाकर नोवटंकी कर रही है।”
 

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