




रविवार, 9 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश और झारखंड के तीन आदिवासी रचनाकारों को प्रदान किया गया।
रांची स्थित पद्मश्री रामदयाल मुंडा टीआरआई हॉल में आयोजित समारोह में झारखंड के काशराय कुदादा, मनोज मुर्मू और अरुणाचल प्रदेश के सोनी रूमछु सम्मानित हुए। समारोह के दूसरे सत्र में बहुभाषाई दुरङ काव्यपाठ हुआ, जिसमें झारखंड की अनेक भाषाओं के कवि, गीतकार और पारंपरिक गायक शामिल हुए।
आयोजन प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन ने, झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा और टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से किया।


मुख्य अतिथि आदिवासी साहित्यकार एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. स्नेहलता नेगी ने कहा कि यह सम्मान समारोह नहीं, बल्कि आदिवासियत और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है। उन्होंने झारखंड के आदिवासी रचनाकारों की सक्रियता की सराहना की और भाषाई-सांस्कृतिक संरक्षण की जिम्मेदारी सभी पर होने की बात कही।
कार्यक्रम का आरंभ प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की अध्यक्ष ग्लोरिया सोरेंग के स्वागत वक्तव्य से हुआ। उन्होंने झारखंड राज्य निर्माण के 25 वर्ष पूरे होने पर चिंतन करते हुए कहा कि आदिवासी भाषा-साहित्य के संरक्षण का सवाल आज भी अधूरा है।
वंदना टेटे (महासचिव, झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा) ने पुरस्कार एवं विजेताओं का परिचय देते हुए कहा कि पुरस्कार का उद्देश्य आदिवासी साहित्य को वैश्विक मंच देना है और आदिवासी लेखन को प्रोत्साहित करना है।
सम्मानित लेखकों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
सोनी रूमछु (‘वह केवल पेड़ नहीं था’) ने कहा कि वे अपने समुदाय ओलो (नोक्ते) के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने पीएच.डी की पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने अपनी कविताओं में समुदाय और क्षेत्र के अनुभवों को अभिव्यक्त किया है।
काशराय कुदादा (‘दुपुब दिषुम’) ने कहा कि वे छात्र जीवन से ही ‘हो’ भाषा के लिए काम कर रहे हैं और यह पुरस्कार आदिवासी भाषाओं के संरक्षण की दिशा में महत्त्वपूर्ण है।
मनोज मुर्मू (‘मानवा जी़योन’) ने कहा कि उन्होंने 2020 के बाद सचेतन लेखन शुरू किया और उनकी कविताएँ संताल समाज और युवाओं की अभिव्यक्ति हैं।
मुख्य सत्र में टाटा स्टील फाउंडेशन के लीड शिवशंकर काडियोंग ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उनका फाउंडेशन लंबे समय से आदिवासी भाषाओं में शिक्षा-प्रशिक्षण दे रहा है और अप्रकाशित पांडुलिपियों को भी छपवाने में सहयोग करेगा।
सम्मान सत्र का संचालन डॉ. प्रीति रंजना डुंगडुंग ने किया।
समारोह का दूसरा सत्र बहुभाषाई काव्यपाठ का था। इसमें भूमिज, माल पहाड़िया, असुर, बिरजिया, खड़िया, हो, मुंडा, संताली, कुड़माली, खोरठा, सादरी, पंच परगनिया, और कुडुख भाषाओं में गीत और कविता पाठ किया गया। पाठ करने वाले कवि और गायक हैं- भिखा असुर (असुर); मोनिका सिंह (भूमिज); सरोज तेलरा (बिरजिया); सुशांति बोयपाई (हो); डॉ. किरण कुल्लू (खड़िया); अमित कुमार (खोरठा); गीता कोया (कुड़ुख); डॉ. वृंदावन महतो (कुड़मालि); जादु मुण्डा और बिलकन डांग (मुण्डारी); विष्णु चरण सिंह मुण्डा (पंचपरगनिया); सुषमा केरकेट्टा, सलोमी एक्का, डॉ. आलम आरा (नागपुरी); मनोज मुर्मू (संताली)।


इसके अलावा असुर लूर अखड़ा नेतरहाट और बिरजिया लूर अखड़ा रांची द्वारा नृत्य और गीतों की प्रस्तुतति की गई। इस सत्र का संचालन शांति सावैयां ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन मनोनीत रेबेका तोपनो ने दिया। सम्मान समारोह में झारखंड के 25 वर्ष पूरे होने पर अश्विनी कुमार पंकज द्वारा निर्मित दो वीडियो गीतों का प्रदर्शन भी हुआ। प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन द्वारा किताबों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। समारोह के दौरान पूरा सभागार शहर के आम और गणमान्य लोगों से खचाखच भरा हुआ था।
कृष्णमोहनसिंह मुंडा
प्रवक्ता, झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा
रांची (झारखंड)