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आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों को इलाज में सहूलियत के लिए रांची का मॉडल देशभर में लागू होगा। इसकी घोषणा बुधवार को राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के CEO डॉ. RS शर्मा ने की। इससे पहले उन्होंने सदर अस्पताल का निरीक्षण किया। आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल में हो रहे इलाज और व्यवस्था को समझा। उन्होंने यह भी समझा कि कैसे एक जिला अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत क्लेम करने के मामले में देशभर में तीसरे स्थान पर है।

निरीक्षण के बाद उन्होंने कहा- 'आयुष्मान के लाभुकों को अपनी पहचान के लिए भटकना नहीं पड़े। इसके लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर उनकी पहचान तक के लिए देशभर में एक कार्ड (टोकन) इश्यू किया जाएगा। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसे फ्री में बांटा जाएगा। ताकि वो हॉस्पिटल में जाकर दावा कर सकें कि आयुष्मान के लाभुक हैं।'

शर्मा ने बताया- 'देशभर में आयुष्मान के तहत ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटल्स को जोड़ा जाएगा। साथ ही हॉस्पिटल के पैकेज को रिजनेबल किया जाएगा, ताकि प्राइवेट हॉस्पिटल को इलाज के बदले उचित राशि मिल सकें। प्राइवेट हॉस्पिटल की भागीदारी बढ़ाने के लिए ये जरूरी है।'

प्राइवेट हॉस्पिटल के क्लेम का निपटारा जल्दी किया जाए। अगर किसी हॉस्पिटल के क्लेम में कोई गड़बड़ी नहीं मिली है तो उन्हें ग्रीन चैनल में शामिल किया जाएगा। क्लेम सब्मिट करते ही 50% भुगतान किया जाएगा। झारखंड में पहले से ही इस तरह का स्टेप लिया जा रहा है।

झारखंड में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का नाम बदल कर मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना कर देने के सवाल पर शर्मा ने कहा- 'प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ही आयुष्मान योजना है। इसका नाम यही रहना चाहिए, लेकिन स्टेट की भागीदारी है तो स्टेट अपना नाम ऐड कर सकता है। नाम कुछ भी हो आयुष्मान भारत की ब्रांडिंग होना जरूरी है।'

इस दौरान उन्होंने आयुष्मान की राशि से सदर अस्पताल में तैयार इंफ्रास्ट्रक्चर का निरीक्षण किया। मरीजों से बात की और सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने पूछा कि क्या उनसे इलाज का किसी प्रकार का पैसा तो नहीं लिया जा रहा है। इसके अलावा उन्होंने रांची के प्राइवेट हॉस्पिटल रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल व रातू CHC का भी निरीक्षण किया।

आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कर राशि क्लेम करने के मामले में रांची सदर अस्पताल देश भर में तीसरे स्थान पर है। वहीं, पूर्वी भारत में शीर्ष पर है। इस साल अस्पताल की तरफ से आयुष्मान योजना के तहत 11.55 करोड़ रुपए क्लेम किया गया है। इतना ही नहीं इलाज के बाद आने वाली राशि का अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

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