योग हमें जीने की कला सिखाता है, योग के सभी नियम हमारे शरीर के पंचतत्वों को संतुलित करने का कार्य करते हैं। यदि किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक है तो उसके मस्तिष्क में सुविचार ही आते हैं, बीमार शरीर को कुविचार घेर लेते हैं। 

उक्त बातें पत्र सूचना कार्यालय रांची के *अपर महानिदेशक श्री अरिमर्दन सिंह* ने पत्र सूचना कार्यालय, प्रादेशिक लोक संपर्क ब्यूरो, रांची एवं क्षेत्रीय लोक संपर्क ब्यूरो दुमका के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित *योग दर्शन एवं प्रकृतिक चिकित्सीय पद्धति : स्वास्थ्य जगत के लिए भारतीय ज्ञान का अमूल्य उपहार* विषय पर सोमवार को आयाजित वेबिनार के दौरान कहीं।

श्री सिंह ने अपने अध्यक्षीय संबोधन के दौरान कहा कि प्राकृतिक संतुलन से ही हमारा जीवन संतुलित रहता है। यौगिक क्रियाएं मन, आत्मा और शरीर को शुद्ध करती हैं। योग मूलत: हमें प्रकृति से जोड़ता है, योग के आसनों के नाम भी हमने प्रकृति से ही लिए हैं। सभी चिकित्सा पद्धतियों में शरीर को स्वस्थ करने के लिए पांचों तत्वों का संतुलन किया जाता है। इसलिए जरूरी है कि हम प्रकृति के नजदीक रहें, पर्यावरण से जुड़े रहें और इनका संरक्षण करें ताकि हम स्वस्थ रह सकें जिससे समाज एवं देश को मजबूती मिले।

इससे पहले वेबिनार का संचालन कर रहे *क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी श्री शाहिद रहमान* ने सभी श्रोताओं से अतिथियों का परिचय कराया एवं विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि आयुर्वेद भारतीय जीवन में रचा-बसा है, प्राकृतिक तत्वों के समावेश के कारण इसके नुकसान की भी संभावना ना के बराबर होती है।

वेबिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए *देव अंतरराष्ट्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सालय, गीतानगर , कानपुर के अन्वेषक , समायोजक एवं ‌लेखक, वरिष्ठ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ योग ऋषि डॉक्टर ओम प्रकाश 'आनंद जी'* ने कहा कि वर्तमान दौर में प्राकृतिक चिकित्सा की साधना जरूरी है। प्राकृतिक चिकित्सा से सभी प्रकार के रोग दूर किए जा सकते हैं एवं दवाइयों से निजात मिल सकती है। 

इसके सिद्धांतों के अध्ययन से देश की बड़ी आबादी को स्वस्थ रखा जा सकता है। योग ऋषि ने कहा कि कई बड़ी बीमारियों जैसे बवासीर, नाक का मांस बढ़ना, किडनी खराब होना, हायपरटेंशन, डिमेंशिया आदि बीमारियों का घरेलू इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के जरिए संभव है। त्राटक, कपालशोधन, धौति क्रिया, गणेश क्रिया, बस्ति क्रिया नेति क्रिया आदि यदि हम दिनचर्या में शामिल करें तो कई बीमारियां हमारे पास नहीं फटकेंगी।

 प्राकृतिक चिकित्सा, जड़ी-बूटी एवं षटकर्म को अपनाकर कोई व्यक्ति अपनी उम्र को थाम सकता है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि अच्छी भूख लगने पर ही खाएं, भूख से कम खाएं और मल-मूत्र को ना रोकें। काम के अनुसार से अपनी दिनर्चा बनाएं एवं एक घंटे योग को, एक घंटे ध्यान को एवं एक घंटे परिवार को देने की बाद ही दूसरा कोई कार्य करें। यह ध्यान रखें कि जितनी आपकी उम्र है उतने प्रतिशत प्राकृतिक चीजें खाएं और बाकी अन्न।

योग ऋषि ने मैग्नेट थेरेपी, लाफिंग थेरेपी एवं एक्यूप्रेशर थेरेपी, रेकी के महत्वों को समझाते हुए कहा कि इनके जरिए नैचुरोपैथी के माध्यम से कई बड़ी बीमारियों उन्होंने खुद ठीक की हैं। आज का समय प्राकृतिक चिकित्सा प्लस को अपनाने का है। इससे हजारों लोगों को स्वरोजगार भी मिलेगा एवं हम प्रकृति के करीब भी रह सकेंगे।

वेबिनार को संबोधित करते हुए *एसजीआरआर विश्वविद्यालय देहरादून की मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान की डीन एवं आरोग्यम योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, देहरादून की निदेशक प्रोफेसर (डॉक्टर) सरस्वती कला* ने कहा कि नैचुरोपैथी और योग का दर्शन एक ही है। ये क्रियाएं भारतीय परंपरा के अनुसार हैं। कोरोना काल के दौरान लोग नैचुरोपैथी के करीब आए एवं योगाभ्यास किए जिसका उन्हें फायदा भी हुआ। योग हमें संयम और नियम सिखाता है। यदि आपकी दिनचर्या सही है तो आप कम से कम बीमारियों की चपेट में आएंगे। दिनचर्या, रात्रिचर्या और आहारचर्या कैसी हो इसके समझने के लिए नैचुरोपैथी के करीब आना होगा, इसके मूलत: 10 सिद्धांत हैं।

डा. कला ने कहा कि मौसमी बीमारियों में हमें तत्काल दवाओं के सेवन से बचना चाहिए, सर्दी-खांसी से शरीर के दोष दूर होते हैं। तत्काल दवा लेने से ये दब जाते हैं और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं। गैस कई बीमारियों की जड़ होती है। इसलिए पेट और आंत साफ रहें इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यह खान-पान की उचित मात्रा के जरिए किया जा सकता है। आहार की गुणवत्ता, आहार की मात्रा एवं आपकी मन: स्थति भी आहार लेने वाले के स्वास्थ्य पर निभर्र करती है। डा. कला ने श्वास के संयम से शरीर कैसे स्वस्थ रख सकते हैं इसके बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कई बीमारियों में शरीर के कई अंग काटकर हटा दिए जाते हैं, लेकिन नेचुरोपैथी में उन्हें काटा नहीं बल्कि प्राकृतिक उपायों से ठीक किया जाता है।

वेबिनार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की झारखंड में अवस्थित सभी इकाईयों के अधिकारी-कर्मचारी, आकाशवाणी, दूरदर्शन के अधिकारी एवं संवाददाता तथा स्ट्रिंगर, गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकार सहित दूसरे जिलों के शिक्षाविद् एवं योग शिक्षक शामिल हुए।

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