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झारखंड में कोडरमा जिला बिहार के बोर्डर पर उपस्थित है और प्रकृतिक वन और वन्यप्राणी से भरपूर है। लेकिन आजकल, इसके जंगली क्षेत्रों में वनों की अंधाधुंध कटाई जारी है। 

सबसे बड़ी समस्या ये है की इससे हरियाली कम हो रही है।यहाँ की गाँव में रहने वाले लोग आकरोंसीत है।कई लोग चीठी लिख कर ये आरोप लगाया है की वन विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

सबसे ज़्यादा वनों की कटाई हो रही है कोडरमा के सतगावां थाना क्षेत्र के कटैया, मीरगंज, धनकी, कैरी, राजावर, बैदडीह, सिहास, खैरा, पेट्रो, छोटकी झर, माधोपुर आदि।

ये इलाक़ा जंगली क्षेत्र में है। और ग्रामीण लोग सतगावां में प्रत्येक साल वन बचाओ अभियान चलाये है। 

इसको लेकर कई कार्यक्रम व नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं। इसमें वन विभाग व अन्य कई संस्थाओं द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है। वहीं कई इलाकों में लाखों रुपये खर्च कर पौधे लगाए गए, जो अब पेड़ बन चुके हैं। जंगल व पेड़ों के बचाव के लिए कई वनरक्षी भी रखे गए हैं। इसके बाद भी जंगल क्षेत्र से पेड़ काटे जा रहे हैं। 

स्थानीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि करीब 500 बोझा कच्ची लकड़ियां काटकर लोग घरों के चूल्हे में जला रहे हैं। साथ ही कई जगह शराब भट्ठी में लकड़ियों का इस्तेमाल हो रहा है। इनमें से कई भट्ठियां तो जंगल क्षेत्र में ही चलाई जा रही हैं। लोगों का कहना है कि यहां पदस्थापित रेंजर रविंद्र कुमार के पास डोमचांच क्षेत्र का भी प्रभार है। वे अधिकतर समय डोमचांच में बिताते हैं। इसके कारण यहां के वनरक्षी अपनी जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही कर रहे हैं।

बेरहवा जंगल में वन विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से धड़ल्ले से पेड़ों की कटाई हो रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं।

जंगल की अंधाधुंध कटाई को देखकर ग्रामीणों ने सांसद, उपायुक्त, विधायक व डीएफओ को लिखित आवेदन देकर लकड़ी माफिया से जंगल बचाने का अनुरोध किया है। आवेदन में बताया गया कि बेरहवा जंगल में अवैध रूप से बेरोकटोक पेड़ों की कटाई हो रही है। 

इसमें यहां तैनात वन रक्षक की संलिप्तता से इन्कार नहीं किया जा सकता। उसकी मदद से जंगल माफिया कई वर्षों से यहां सक्रिय हैं। जंगल माफिया सिपाही के मिलीभगत से चांदी काट रहे हैं। बेरहवा जंगल के अंदर कृषि फार्म भी तैयार किया जा रहा है जो जांच का विषय है।

जंगल कटाई के वजह से जितने भी वन्यप्राणी थे, वह लुप्त हो रहे हैं या उनका शिकार किया जा रहा है। लगभग 200 एकड़ से ज्यादा जंगल की कटाई हो चुकी है। जंगल कटने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और यहां के लोग दिन-रात बीमार पड़ रहे हैं।

आवेदन में वन सुरक्षा समिति अध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह, बीरेंद्र सिंह, मुरारी दास, दशरथ कुमार दास, संदीप कुमार दास, किशोर सिंह, विनोद सिंह, सिबन कुमार, चमन सिंह, भातु गोस्वामी समेत सैकड़ों ग्रामीणों का हस्ताक्षर है।

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