*Representational image credit & courtesy The Telegraph

झारखंड के जिला अस्पतालों का हालत बहुत ख़राब है। ये सब जानते है। जो नही जानते हैं वो जान के की इन अस्पतालों में डाक्टर, नर्स और स्टाफ़ नही के बराबर है।

जिला अस्पतालों से जुड़े पहलुओं का पेश किया खाका : राज्य के जिला अस्पतालों से संबंधित सीएजी की विशेष रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश की गयी थी ।इस रिपोर्ट में वर्ष 2014-2019 तक जिला अस्पतालों से नागरिकों को मिलनेवाली स्वास्थ्य सुविधाओं का उल्लेख किया गया है.

नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत मिली राशि में से भी 42-60 प्रतिशत तक खर्च की गयी है. रांची में 12 साल बाद भी 500 बेड के अस्पताल का संचालन पूरा शुरू नहीं हो सका है. भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक(सीएजी) की रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है. साथ ही यह भी कहा गया है कि विभाग ने जिला अस्पतालों में सुविधाओं को लिए कोई मापदंड नहीं बनाया है.

राज्य के जिला अस्पतालों में जरूरत के मुकाबले स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है. डॉक्टरों की 58 प्रतिशत, नर्सों की 87 प्रतिशत और पारा मेडिकल स्टाफ की 76 प्रतिशत तक की कमी है. वहीं, 11 से 22 प्रतिशत तक आवश्यक दवाइयां ही उपलब्ध हैं. पांच वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा दी गयी राशि का औसतन 70 प्रतिशत ही खर्च हो सका है.

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