स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, यूनिसेफतथा सिनी के द्वारा संयुक्त रूप से आज रांची में एक राज्य स्तरीयसप्ताहिक अभियान ‘रक्षाबंधन, सुरक्षा का बंधन’ प्रारंभ किया गया। यहअभियान 23 से 30 अगस्त तक राज्य के सभी कस्तूरबा गांधी बालिकाविद्यालयों (केजीबीवी) एवं झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों(जेबीएवी) में चलाया जाएगा।

रक्षा बंधन जिसका शाब्दिक अर्थ सुरक्षा, संरक्षण और प्रेम का धागा है, लड़कियों के हितों की रक्षा करने और उनकी भलाई को सुनिश्चित करनेके समाज के मजबूत इरादे को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।‘रक्षा बंधन, सुरक्षा का बंधन’ अभियान का उद्देश्य रक्षाबंधन त्योहार जैसेमहत्वपूर्ण अवसर का उपयोग लैंगिक भेदभाव, बाल विवाह, कन्या भ्रूणहत्या, यौन शोषण, मानव तस्करी और घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों को लेकरलड़कियों और शिक्षकों के बीच जागरूकता पैदा करना है। यह अभियानलड़कियों के खिलाफ लैंगिक भेदभाव के खिलाफ समर्थन पैदा करने तथाउनके आत्म-सम्मान एवं आत्मविश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिकाअदा करेगा।  

अभियान के दौरान पूरे सप्ताह नियोजित गतिविधियों के माध्यम सेकेजीबीवी और जेबीएवी में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनस्कूलों में वार्डन द्वारा प्रतिनियुक्त शिक्षक इन कार्यक्रमों के संचालन मेंयोगदान देंगे। इस दौरान विभिन्न गतिविधियों जैसे कि केजीबीवी औरजेबीएवी की लड़कियांे द्वारा एक-दूसरे को राखी बांधना, लैंगिक मुद्दों परनारा लेखन, पेंटिंग प्रतियोगिताएं, यूनिसेफ की मीना कहानियों कीस्क्रीनिंग; सिनी के द्वारा निर्मित फिल्म स्पंदन का प्रदर्शन तथा महिलाओंएवं किशोरियों के मुद्दों पर लड़कियों द्वारा लघु नाटिका का प्रदर्शन भीकिया जाएगा। इस दौरान लड़कियाँ एक-दूसरे का सहयोग एवं समर्थनकरने तथा अपनी शिक्षा को जारी रखने तथा चुनौतियों और नकारात्मकलैंगिक मानदंडों आदि से निपटने के लिए शपथ भी लेंगी।

इस अवसर पर जेएससीईआरटी एवं जेईपीसी की निदेशक श्रीमती किरणकुमारी पासी ने कहा, “हम रक्षाबंधन के इस अवसर का उपयोग लैंगिकभेदभाव और लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज मेंजागरूकता पैदा करने के लिए कर रहे हैं। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं किकेजीबीवी और जेबीएवी की सभी लड़कियां इस अभियान में भाग लें।लैंगिक रूढ़िवादिता से लड़ने के लिए लड़कियों की एकजुटता महत्वपूर्णहै। मुझे उम्मीद है कि इस अभियान और इसकी गतिविधियों के माध्यम सेलड़कियों को लैंगिक भेदभाव की बुराइयों के बारे में जो संदेश मिलेगा, उसे वे अपने परिवार और समुदाय तक पहुंचाएंगी’’

उन्होंने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि यह अभियान, जो जेसीईआरटी, सिनी तथा यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, लैंगिक भेदभाव से संबंधित समस्याओं का समाधान करने में योगदान देगाऔर समाज में इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी मदद करेगा। इसअभियान के माध्यम से, लड़कियां एकजुट होंगी और एक-दूसरे के लिएसमर्थन और ताकत का स्तंभ बनेंगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इसअभियान के माध्यम से हमारा समाज महिलाओं के मुद्दों के प्रति अधिकबाल हितैषी और संवेदनशील बनेगा।’’ 

इस अवसर पर बोलते हुए, यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख डॉ कनीनिका मित्रने कहा, “रक्षा बंधन जैसे पारंपरिक त्योहारों का समाज पर गहरा प्रभावहोता है। इनके माध्यम से लैंगिक भेदभाव जैसे मुद्दे के प्रति समाज मेंजागरूकता पैदा किया जा सकता है। यह त्यौहार प्राचीन काल से हीबहनों और भाइयों के बीच प्रेम और भाईयों के द्वारा बहनों की सुरक्षा औरउसकी भलाई के प्रति संकल्पित होने के रूप में मनाया और दर्शाया जातारहा है। इस अभियान के माध्यम से हम भाइयों द्वारा बहनों के प्रतिसुरक्षात्मक प्रेम की अवधारणा को विस्तार देने के लिए रक्षा बंधन से पहलेके सप्ताह (23-30 अगस्त)  को चिह्नित कर रहे हैं, जिसमें केजीबीवी कीलड़कियों की सहभागिता को भी शामिल किया गया है।

इसके पीछे कीसोच यह है कि लड़कियाँ दोस्त, बहन और सहयोगी के रूप में एक-दूसरेकी ताकत बन सकती हैं और शिक्षा को जारी रखने, आत्मसम्मान कोबनाए रखने, छेड़छाड़ और उत्पीड़न से निपटने तथा बाल विवाह केखिलाफ सामूहिक आवाज उठाने में एक-दूसरे का समर्थन कर सकती हैं।रक्षा बंधन के माध्यम से प्रदर्शित की गई प्रेम और सहयोग की भावना काउपयोग समाज में लड़कियों के प्रति सुरक्षात्मक वातावरण का निर्माणकरने के लिए किया जा सकता है, ताकि सभी लड़कियां सुरक्षित महसूसकरे और उन्हें समाज में समान अधिकार और अवसर मिले।

must read