*प्रमुख पत्रकार,कानून विद,और पुलिस अधिकारी ने रांची प्रेस क्लब में नए आपराधिक कानून विषय पर *वार्तालाप* में हिस्सा लिए

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत ऑफिसर, रांची द्वारा आज रांची प्रेस क्लब में *वार्तालाप* कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में पत्रकारों, कानून विदों और पुलिस अधिकारी ने हिस्सा लिया। कार्यशाला की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई.

जिसके बाद सभी अतिथियों का विधिवत पुष्प गुच्छ, शॉल और मेमेंटो देकर विभाग द्वारा सम्मानित किया गया। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL), रांची के वाइस चांसलर, प्रोफेसर अशोक आर. 

पाटिल ने बतौर मुख्य अतिथि के रुप में संबोधन करते हुए बताया कि पुराने कानून के जगह पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम जो आगामी एक जुलाई ,2024 से लागू होने जा रहे हैं ,उसमें पीड़ित पक्ष का काफी ख्याल रखा गया है.

उन्होंने कहा कि इन तीन नए कानूनों को बनाने में पूरे देश भर के प्रमुख लॉ कॉलेज के प्रोफेसरों, रिसर्चर, देशभर से विभिन्न पार्टियों के142 सांसद, 272 विधायक और सामान्य जन से चर्चा की गई, तब जाकर इस कानून को लागू किया जा रहा है.

उन्होंने यह भी बताया कि नए कानून में फॉरेंसिक साइंस और फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन का बहुत बड़ा महत्व है और इसके लिए राज्य सरकारों को फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन की अच्छी व्यवस्था करनी होगी। पत्र सूचना कार्यालय के अपर महानिदेशक श्री अखिल कुमार मिश्रा ने अपने "की- नोट एड्रेस" में कहा कि नए कानून में पुराने कानून के जो आवश्यक प्रावधान थे ,उसे रखा गया है और जो गैर जरूरी थे उन्हें हटा दिया गया, तथा आधुनिक समय की मांग को देखते हुए इसमें टेक्नोलॉजी के महत्व का समावेश भी है.

उन्होंने मीडियाकर्मियों से इन कानूनों को अधिक से अधिक लोगों तक प्रसारित करने की अपील भी की। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ स्टडीस एंड रिसर्च इन लॉ(NUSRL)रांची के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर शुभम श्रीवास्तव ने बतौर एक्सपर्ट के तौर पर लोगों को पुराने इंडियन पेनल कोड ,एविडेंस एक्ट और कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर के बदले गए प्रावधानों की चर्चा करते हुए इस बात पर बल दिया कि नए प्रावधान में महिलाओं व बच्चों का विशेष ध्यान रखा गया है.

उन्होंने कहा कि नए कानून के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने के लिए शारीरिक रूप से पुलिस स्टेशन जाने की पारंपरिक आवश्यकता को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्राथमिकी दर्ज करने के प्रावधान में बदल दिया गया है, जिससे लोगों को बहुत राहत मिलेगी। इसके अलावा केवल अधिकार क्षेत्र वाले पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है.

अब पीड़ित देश के किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कर सकेंगे। रांची के सिटी डीएसपी कुमार वेंकटेश रमन ने भारतीय न्याय संहिता की तुलना एक जुलाई, 2024 से बंद होने वाले इंडियन पेनल कोड (IPC) के विभिन्न प्रावधानों का विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि इसमें कुछ नए जुर्म को शामिल किया गया है और कई पुराने जुर्मों को हटा दिया गया है- मसलन अब आत्महत्या का प्रयास अपराध की श्रेणी में नहीं रह जाएगा.

उन्होंने यह भी बताया कि मामूली अपराधों के लिए सजा के तौर पर सोशल सर्विस या सामुदायिक सेवा के पहलू पर बल दिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि 'मॉब लिंचिंग' व संगठित अपराध पर अधिक सख्त रवैया अपनाया गया है.

नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी एंड रिसर्च इन लॉ (NUSRL) रांची के असिस्टेंट प्रोफेसर उत्कर्ष वर्मा ने विशेषज्ञ के तौर पर उद्बोधन में नए कानून के कई विशेषताओं पर व्यापक चर्चा की और उन्होंने कहा कि नए कानून में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोई भी अपराध बिना जांच के न रहे.

यदि एफ.आई. आर. दर्ज नहीं की गई है तो पीड़ितों को पुलिस अधीक्षक से संपर्क करने का अधिकार दिया गया है, जो स्वयं अपराध की जांच कर सकते हैं या अधीनस्थ अधिकारी द्वारा जांच का निर्देश दे सकते हैं.

उन्होंने महिलाओं के लिए, विशेष रूप से बलात्कार पीड़ितों जैसे कमजोर वर्ग के लिए पीड़ित- मित्रवत वातावरण बनाने के लिए जो ठोस कदम उठाए गए हैं नए कानून में, उनका जिक्र भी किया.

इससे पूर्व अपने स्वागत भाषण में विभाग के अधिकारी राजेश सिन्हा ने अतिथियों का परिचय देते हुए उनका स्वागत कराया तथा नए कानून के कुछ बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नए कानून में आरोपी व्यक्ति द्वारा कार्रवाई में देरी करने के लिए टालमटोल की रणनीति अपनाने की घटनाओं को कम करने के लिए महत्वपूर्ण समय सीमाएं शुरू कर दी गई है, जो त्वरित और प्रभावी न्याय व्यवस्था सुनिश्चित करेगा। कार्यक्रम का संचालन विभाग के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी ओंकार नाथ पांडेय ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विभाग के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी एवं पीआईबी रांची के कार्यालय प्रमुख गौरव कुमार पुष्कर ने किया.

लंच के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें पत्रकारों द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए और उनका उत्तर दिया गया। 

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