पक्षियों के अद्भुत संसार में गौरैया का अपना एक अलग ही एक मुक़ाम है। हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है। पहला विश्व स्पैरो दिवस 20 मार्च, 2010 को विश्व भर में मनाया गया।

गौरैया उन कुछ विशेष पक्षियों में से है जिन्हें इंसानों के साथ रहना पसंद है। और यह नन्ही सी , प्यारी सी , छोटी सी पक्षी इंसानों के आसपास या उनके घरों में ही घोंसला बनाकर रहती है।

लेकिन निरंकुश विकास ने अब इन नन्ही पक्षियों के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

प्रतिकूल परिस्थितियों में भी यह अच्छी बात है कि कुछ पक्षी प्रेमी आगे आए हैं और वे गौरैया तथा अन्य पक्षियों के संरक्षण के लिए अपने लगातार प्रयास से पक्षियों के संरक्षण की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं।

भारत के महान पक्षी प्रेमी मुंबई के दिवंगत सालिम मोइजुददीन अब्दुल अली से होते हुए पटना के युवा पक्षी प्रेमी संजय कुमार तक का प्रयास यह दर्शाता है की गौरैया/ पक्षी प्रेमियों की संख्या भले ही कम हो लेकिन इन गिने चुने लोगों के जुनून में कोई कमी नहीं है।

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*Author Sahid Rahman

पटना के प्रसिद्ध गौरय्या संरक्षक एवं लेखक संजय कुमार अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहते हैं कि शुरू में मेरे घर के बालकोनी में एक दो गौरैया आती थी। इसे भोजन पानी की तलाश में भटकते देखा। तभी से इनके संरक्षण को लेकर पहल शुरू की। आज बड़ी संख्या में ये सुबह - शाम गौरैया आती हैं और अपनी चहचहाट से खुशियां भर देती है। पहले इनका संरक्षण मुझ तक ही सीमित था। बाद में गौरैया संरक्षण को व्यापक करने की ठानी।

संजय कहते हैं कि गौरैया संरक्षण को व्यापक बनाने के लिए उनकी तस्वीरें खींच कर सोशल मीडिया पर डाला और फोटो प्रदर्शनी के जरिये गौरैया के संरक्षण की अपील की। अब सैकड़ों लोग इस मुहिम से जुड़े हैं।

पत्र सूचना कार्यालय ,रांची के अपर महानिदेशक अरिमर्दन सिंह अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि उन्होंने अपने आवास पर दर्जनों डिब्बे केवल पक्षियों के वास्ते लगाया हुआ है । इन डिब्बों में गौरैया व फाख्ता समेत कई छोटी-बड़ी पक्षीयां वास करती हैं।

नेचर फॉरएवर सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद इस्माइल दिलावर भी गौरैया संरक्षण के लिए लगातार प्रयासरत है और इनके व वह इनके टीम के प्रयास का नतीजा है कि वर्ष 2010 से दुनिया की लगभग 50 देशों में 20 मार्च को गौरैया संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। साथ ही साथ नेचर फॉरएवर सोसायटी का एक ज्घोंसला अपनाएं ( adopt a nest) अभियान भी काफी पसंद किया जा रहा है।
2005 से अब तक 35000 घोंसले और 350000 पक्षियों के दाना खाने की सुविधा लगाई जा चुकी है।

दिलावर के प्रयास से गौरैया को दिल्ली का राज्य पक्षी घोषित किया गया है।

विश्व गौरैया दिवस के अवसर पर सभी की जिम्मेदारी बनती है कि वे आने वाली गर्मियों में पक्षियों को होने वाली पानी और दाने की परेशानी को किसी हद तक दूर करने का प्रयास करें।
घरों की बालकोनी या छत पर पानी भरा मिट्टी का बर्तन और उचित स्थान पर गौरैया के घोंसले के लिए डब्बे की व्यवस्था गौरैया संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल होगा जो पक्षी प्राकृतिक रूप मनुष्य को अपना दोस्त मान कर उनके घरों के आसपास ही रहना पसंद करती है उन्हें एक ठिकाना मिलेगा।

पुराणों में लिखा है कि यदि जीवों का अंत हुआ तो मनुष्य का अंत भी दूर नहीं है।

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