• झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रांची के पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई |
• अनुसूचित जातियों के लिए राज्य आयोग विधेयक 2018 के प्रस्ताव की स्वीकृति दी गई
• अमृत योजना अंतर्गत प्रस्तावित हजारीबाग जलापूर्ति पर योजना के कार्यान्वयन हेतु पूर्व में स्वीकृत प्राक्कलित राशि 300 करोड़ 01 लाख 75 हजार₹ को रद्द करते हुए वर्तमान प्राक्कलित राशि 407 करोड़ 18 लाख 06 हजार रुपए की लागत पर परियोजना के कार्यान्वयन की प्रशासनिक स्वीकृति मंत्रिपरिषद ने दी |
• अमृत योजना अंतर्गत प्रस्तावित रांची जल आपूर्ति परियोजना (फेज-1) के कार्यान्वयन हेतु पूर्व में स्वीकृत प्राक्कलित राशि 148 करोड़ 06 लाख 03 हजार रुपये को रद्द करते हुए योजना के विस्तारित आवृत क्षेत्र के अनुसार वर्तमान प्राक्कलित राशि 261 करोड़ 43 लाख 02 हजार की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई |
• बिहार बाल श्रमिक (प्रतिषेध एवं विनियमन) नियमावली, 1995 में संशोधन की स्वीकृति दी गई |
• झारखंड नगरपालिका नियामक आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य के वेतन भत्ते, अन्य सेवा शर्तें तथा बजट, लेखा एवं अंकेक्षण नियमावली -2018 की स्वीकृति दी गई |
• कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य हेतु तत्कालीन व्यवस्था के तहत Service Procurement के आधार पर चयनित अंशकालीन शिक्षकों से कार्य लिए जाने की अवधि विस्तार की स्वीकृति दी गई |
• Jharkhand State Wide Area Network (jharnet 2.0) परियोजना के क्रियान्वयन एवं 05 वर्षों के संचालन/ रख-रखाव (Bandwidth, TPA, PMU सहित) हेतु अनुमानित कुल व्यय रुपए 286.22 करोड़ ( दो सौ छियासी करोड़ 22 लाख रुपए) की प्रशासनिक स्वीकृति एवं वित्तीय वर्ष 2018-19 में 85.6117 करोड़ ( पचासी करोड़ एकसठ लाख सत्रह हजार हजार) ब्यय करने की स्वीकृति दी गई |
• झारखंड उच्च न्यायालय की अनुशंसा के आलोक में झारखंड उच्च न्यायालय एवं जिला ज्यूडिशियरी में 5 वर्षों से अधिक पुराने मामलों की पहचान हेतु गठित कोषांग के लिए झारखण्ड न्यायिक सेवा में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) स्तर के उप निबंधक (न्यायिक) के 01 पद तथा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) स्तर के सहायक निबंधक (न्यायिक) के 02 पदों की सृजन की स्वीकृति दी गई |
• झारखंड उच्च न्यायालय की अनुशंसा के आलोक में झारखंड उच्च न्यायालय में Juvenile Justice Committee के सहायतार्थ एक सचिवालय स्थापना हेतु सहायक निबंधक (न्यायिक) के लिए सिविल जज (जूनियर डिवीजन) संवर्ग में 01 पद के सृजन की स्वीकृति दी गई |
• केंद्र प्रायोजित योजना अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के अंतर्गत 148 करोड़ 02 लाख 59 हजार ₹ (148,02,59,000 ₹) की लागत पर स्वीकृत धनबाद शहरी जलापूर्ति परियोजना (फेज-1) की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई |
• केंद्र प्रायोजित योजना अटल नवीकरण एवं शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत) के अंतर्गत 363 करोड़ 36 लाख 49 हजार₹ (363,36,49,000 ₹) की लागत पर स्वीकृत आदित्यपुर शहरी जलापूर्ति परियोजना की प्रशासनिक स्वीकृति मंत्री परिषद द्वारा दी गई |
• राज्य के सेवानिवृत्त न्यायिक पदाधिकारियों एवं पारिवारिक पेंशनरों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के आलोक में अंतरिम राहत के तहत मूल पेंशन में 30% अभिवृद्धि किए जाने की स्वीकृति मंत्री परिषद द्वारा दी गई |
• झारखंड लोक सेवा आयोग, रांची में सदस्य के पद पर 02 प्राध्यापकों को नियुक्त किए जाने के प्रस्ताव पर स्वीकृति दी गई |
• झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों एवं प्रोन्नतियो में बरती गई अनियमितताओं की जांच हेतु एक सदस्य जांच आयोग के अवधि विस्तार की स्वीकृति दी गई |
• राज्य विकास परिषद् के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी का पद सृजित करने तथा उक्त पद पर 1981 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री अनिल स्वरूप को नियुक्ति करने की मंजूरी दी गई |
• राज्य मंत्रिपरिषद ने मृतक पंचाटी अवॉर्डी के उत्तराधिकारियों को भू अर्जन अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा के भुगतान के लिए उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के संबंध में राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के प्रस्ताव की मंजूरी दी गई। इस मंजूरी के पूर्व में वैध रैयत होने के प्रमाण पत्र के आधार पर मृतका पंचाटी के उत्तराधिकारी उत्तराधिकारियों को 10 लाख रुपए मात्र की मुआवजा राशि सक्षम न्यायालय से उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना भुगतान किया जाता था। मंत्रिपरिषद के वर्तमान मंजूरी के बाद मृतक पंचाटी के उत्तराधिकारी/उत्तराधिकारियों को प्रति पंचायती 50 लाख रुपए मात्र तक के मुआवजा राशि बिना सक्षम न्यायालय के उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र प्राप्त किए बिना भुगतान किए जा सकेगा। साथ ही मृतक पंचाटी के उत्तराधिकारियों को भू अर्जन अधिनियम के अंतर्गत मुआवजा के भुगतान के लिए उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र और अंचल कार्यालय से अंचलाधिकारी द्वारा प्रदत्त वैध एवं मान्य रैयत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया हो। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी इस स्थिति में सर्वप्रथम मृतक पंचाटी के वास्तविक उत्तराधिकारी/ उत्तराधिकारियों के विषय में पूरी जांच कर लेंगे इस आधार पर उपायुक्त संतुष्ट हो जाए तो मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा |