*पूर्णिमा महतो

भारत की राष्ट्रपति ने झारखंड की श्रीमती पूर्णिमा महतो को सोमवार के दिन नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में खेल के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित  किया। 

श्रीमती पूर्णिमा महतो अंतरराष्ट्रीय ख्‍याति प्राप्त भारत की राष्ट्रीय तीरंदाजी कोच और प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता है। वह तीरंदाजी के क्षेत्र में उत्कृष्टता और समर्पण की प्रतीक हैं। 

15 अगस्त, 1976 को जमशेदपुर, झारखंड में जन्मी श्रीमती महतो की तीरंदाजी यात्रा टाटा अकादमी से जुड़े एक संस्थान में एक प्रशिक्षण सत्र के साथ 10 साल की उम्र में शुरू हुआ। उस समय उनके पास घर में बने तीर-धनुष और परिवार के पूर्ण सहयोग के अलावा कुछ नहीं था। 

1987 में, तीरंदाजी के प्रति उनकी लगन ने एक प्रोफेशनल मोड़ लिया, जब वह औपचारिक प्रशिक्षण के लिए जमशेदपुर के टाटा आर्चरी एकेडमी में शामिल हुईं। 

एक प्रतिष्ठित खिलाड़ी के रूप में, श्रीमती महतो का करियर शानदार रहा, उन्होंने 1993 और 1998 के बीच विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्‍होंने एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल और अंतरराष्‍ट्रीय तीरंदाजी विश्व कप जैसे प्रतिष्ठित आयोजनों में भाग लिया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश का गौरव बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 

1994 में पुणे में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में उन्‍होंने 6 स्वर्ण पदक जीते जिसके बाद उन्‍हें सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया और उत्कृष्ट खिलाड़ी (महिला) का पुरस्‍कार दिया गया। 4. तीरंदाजी में एक उल्लेखनीय करियर के बाद, श्रीमती महतो ने अगली पीढ़ी के तीरंदाजों को तैयार करके एक प्रतिष्ठित कोच के रूप में अपनी विरासत को आगे बढ़ाया। 

2000 के बाद से, उन्होंने दो दशक से अधिक समय भारत की शीर्ष तीरंदाजी प्रतिभाओं को संवारने में लगाया है, जो उन्हें भारत की सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली एक महिला तीरंदाजी कोच बनाती है। उनके मार्गदर्शन में, भारतीय महिला तीरंदाजी टीम अंतरराष्ट्रीय ख्याति और पहचान हासिल करते हुए नई ऊंचाइयों तक पहुंची है। 

श्रीमती महतो ने डोला बनर्जी, दीपिका कुमारी, कोमालिका बारी, प्रणिता और भजन कौर जैसे प्रतिष्ठित तीरंदाजों को प्रशिक्षित किया है, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया है और भारत में सुप्रसिद्ध शख्सीयत बनी हैं।

श्रीमती महतो का कोचिंग करियर असाधारण रहा है, जिसमें उन्‍होंने उन्नत तकनीकों का इस्‍तेमाल किया। उन्‍हें भारत सरकार और टाटा आर्चरी एकेडमी जैसे प्रमुख संस्थानों का सहयोग मिला और उनका एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण है जो कौशल से परे है। प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता, पूर्णिमा महतो सिर्फ खेल में अपने योगदान के लिए नहीं, बल्कि ऐसे गुणों की प्रतीक है जिनसे कोई व्‍यक्ति सच्‍चा गुरु बनता है। 

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