*Image credit Economic Times
एक साल पहले पीएम केयर्स फंड के तहत मिले 500 वेंटिलेटर को राज्य में अभी तक इंस्टॉल ही नहीं किया जा सका है। लापरवाही का आलम यह है कि सैकड़ों मौत के बाद भी ये कार्य प्रगति पर ही है।
विभाग के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि राज्य को पीएम केयर्स के तहत पिछले साल 500 वेंटिलेटर मिले थे। इनमें लगभग 149 वेंटिलेटर अभी तक अनइंस्टॉल्ड ही है। 50 के पार्ट्स रखे-रखे गायब हो गए हैं। जो इंस्टॉल्ड किए भी गए हैं उन्हें चलाने के लिए पर्याप्त संख्या में न डॉक्टर हैं और न तकनीशियन।
सरकार की ओर से गठित कोविड टास्क फोर्स की टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि वेंटिलेटर के लिए पाइपलाइन से गैस सप्लाई की व्यवस्था जरूरी है। राज्य के सभी जिलों में सही से अभी तक इसकी ही व्यवस्था नहीं हो पाई है तो वेंटिलेटर कहां से इंस्टॉल हो जाता। अगर हो भी जातातो इसके चलाने वाले एनेस्थेटिस्ट की कमी राज्यव्यापी है।
झारखंड में पीएम केयर्स से दो कंपनी के वेंटिलेटर आए थे। एग्वा और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड के। अब जब राज्य में कोविड के केस काबू में आने लगे हैं तो तब एग्वा के दो तकनीशियन रोस्टर के हिसाब से राज्य के 24 जिलों में जाकर इसे इंस्टॉल कर रहे हैं। इंस्टॉल करने के बाद ट्रेंड कर रहे हैं।
वहीं, रिम्स के कोविड वार्ड के इंचार्ज प्रदीप भट्टाचार्य ने PM को PM केयर फंड से मिले वेंटिलेटर की खामियां तक बता दी है। उन्हाेंने कहा कि पीएम केयर फंड से आए 45 वेंटिलेटर काम नहीं कर रहे हैं। सभी में कुछ न कुछ खराबी है। क्वांटिटी के साथ क्वालिटी पर भी ध्यान देने की जरूरत है।