झारखंड हाइकोर्ट ने रतन हाइट्स फ्लैट ओनर्स के पक्ष में निर्णय सुनाया है। इस 12 मंजिला आवासीय इमारत के 46 कट्ठा ओपेन स्पेस में किए गए निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया है।

इस निर्णय का स्वागत करते हुए रतन हाइट्स फ्लैट ओनर्स ने इस लंबी कानूनी लड़ाई से जुड़े कुछ अनुभव साझा किए हैं। फ्लैट मालिकों के अनुसार इस मामले में बाद में अलग से दायर नई याचिका ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुरानी याचिका के आधार पर मामला आगे बढ़ता तो फ्लैट ऑनर्स की हार सुनिश्चित थी।

इस निर्णय के बाद अब रतन हाइट्स ऑनर्स तथा ऐसे मामलों में दिलचस्पी रखने वालों के बीच पुरानी और नई याचिका के फर्क के लेकर चर्चा तेज हो गई है।

पुरानी याचिका में अनगिनत महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल नहीं किया था-

1. भू-मालिकों ने वर्ष 2008 में नक्शा संख्या 1049/05 पास होने के पहले आरआरडीए में एक शपथपत्र जमा किया था। इसमें कहा गया था कि इस नक्शे के अतिरिक्त किसी भी अन्य फ्लैट या अतिरिक्त भवन का निर्माण उक्त भूमि पर नहीं किया जाएगा। अगर भविष्य में कभी ऐसा करना हो तो सभी फ्लैट मालिकों की लिखित सहमति के बाद ही ऐसा किया जाएगा। आरआरडीए ने इसी शर्त के आधार पर नक्शा पारित किया था कि सभी भूमि-स्वामियों द्वारा एफिडेविट के इस बिंदु का अक्षरशः पालन किया जाएगा।

2. झारखंड अपार्टमेंट ऑनरशिप एक्ट 2005 के अनुसार पूरी 86 कट्ठा जमीन के नक्शे की भूमि के सम्पूर्ण कॉमन एरिया पर फ्लैट ऑनर्स का संयुक्त मालिकाना होगा। एक्ट के अनुसार बिल्डर अथवा पूर्व भूमि स्वामियों या अपार्टमेंट एसोशिएशन का कॉमन एरिया या किसी भी भाग पर कोई अधिकार नहीं होगा। एक्ट के इस स्पष्ट प्रावधान को प्रारंभिक पिटीशन में नहीं डाला गया था।

3. ऐसे ही मामले में पिछले दिनों माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने नोएडा में निर्मित 40 मंजिला दो इमारतों को अवैध बताकर ध्वस्त कराया गया था। सर्वोच्च न्यायालय तथा कई हाईकोर्ट ने विभिन्न फैसलों में स्पष्ट कहा है कि बहुमंजिला इमारतों के कॉमन एरिया पर सिर्फ फ्लैट ओनर्स का अधिकार होगा। लेकिन रतन हाइट्स ऑनर्स द्वारा पहले फ़ाइल की गई याचिका में इस बिंदु को भी शामिल नहीं किया गया था। 

4. रतन हाइट्स ऑनर्स ने बाद में नई याचिका दायर करके इन बिंदुओं को शामिल करने का सकारात्मक असर हुआ। यहाँ तक कि पुरानी याचिका में सहमति जताई गई थी कि नए बिल्डर द्वारा थोड़ा सेट-बैक छोड़कर पूरे 46 कट्ठा जमीन पर एफएआर के आधार पर नया भवन बनाने में कोई आपत्ति नहीं। यानी कानून द्वारा जिस कॉमन एरिया पर फ्लैट ओनर्स को पूर्ण अधिकार दिया गया है, उसे भूस्वामियों और बिल्डर को देने पर सहमति दी जा रही थी। इसलिए अधिकांश फ्लैट ओनर्स ने इस पर आपत्ति जताते हुए अलग से नई याचिका दायर की। इस नई याचिका के आधार पर हाइकोर्ट ने फ्लैट ओनर्स के पक्ष में निर्णय सुनाया।

उक्त बिंदुओं से स्पष्ट है कि बाद में दायर की गई अलग एवं नई याचिका के कारण आज झारखंड हाइकोर्ट ने रतन हाइट्स ऑनर्स के पक्ष में निर्णय सुनाया है।

-----------------------------Advertisement------------------------------------

must read