रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में आज आदिवासियों का महाजुटान होने जा रहा है। इस महाजुटान का नेतृत्व आदिवासी सेंगेल अभियान कर रहा है। यह महाजुटान सरना धर्म कोड को लागू कराने को लेकर दबाव बनाने के लिए हो रहा है। 

इसमें ने केवल झारखंड बल्कि असम और अरुणाचल प्रदेश से भी आदिवासी समुदाय के लोग शिरकत करेंगे। इस सभा को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख सालखन मुर्मू ने कहा कि अब सांत्वना और आश्वासन से काम नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कल मंजिल तक पहुंचाने का शंखनाद किया जाएगा। 

महासभा आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि भारत में आदिवासियों को धार्मिक आजादी नहीं मिली है। हमको जोरदजबदस्ती हिंदू, मुस्लिम और ईसाई बनाया जा रहा है। यह एक प्रकार का हिंदू राष्ट्र, मुसलमान राष्ट्र और ईसाई राष्ट्र का मामला है। 

तो क्यों न हम आदिवासी भी आदिवासी राष्ट्र की बात करें और झारखंड हमारा केंद्र है। 15 नवंबर को प्रधानमंत्री भी झारखंड पहुंच रहे हैं। ऐसे में हम कल से सरना धर्म कोड को लागू करने को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। 

दोपहर 12 बजे शुरू होगी सभा आदिवासी सेंगेल अभियान के माधयम से सरना धर्म कोड की मांग तेज करने को लेकर कल रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित जनसभा की शुरुआत दोपहर 12 बजे होगी। यह जनसभा शाम चार बजे तक चलेगी। सालखन मुर्मू ने बताया कि जनसभा में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधि शामिल होंगे। 

इस जनसभा में धार्मिक आजादी के संघर्ष को मंजिल तक पहुंचाने का शंखनाद किया जाएगा। कल ही देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले छह करोड़ आदिवासियों के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक गुलामी से आजादी के रोड मैप को तैयार किया जाएगा। असम और अरुणाचल से लोग कर रहे शिरकत मोरहाबादी मैदान में होने वाली इस जनसभा में शामिल होने कई राज्यों से प्रतिनिधि आ चुके हैं। 

संभवत यह पहली जनसभा होगी जिसमें सिर्फ इसी मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश होगी कि सरना धर्मकोड को लागू किया जाए। इस जनसभा में पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न जनजातीय समूह के सदस्य, असम और अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाकों से बड़ी संख्या में लोग रांची आ रहे हैं। 

झारखंड विधानसभा से हो चुका है पास हेमंत सरकार के द्वारा सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र से पास कराकर केंद्र सरकार से 2021 की जनगणना में संशोधन करने की मांग रखी गई थी। उसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने की मांग रखी थी। 

सरना प्रकृति पर आधारित है जो जनजातियों के लिए खास है। यक रिपोर्ट 2011 के जनगणना के मुताबिक झारखंड में 40.75 लाख और देशभर में छह करोड़ लोगों ने सरना धर्म दर्ज कराया था।

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