झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद् एवं यूनिसेफ द्वारा रांची के बीएनआर होटल में *जीवन कौशल, अपने शरीर के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण सह आत्मविश्वास* विषय पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का आज शुभारंभ किया गया। 

इस कार्यशाला का शुभारंभ कस्तूरबा गाँधी बालिका आवासीय विद्यालय की बच्चियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के दौरान राज्य शिक्षा परियोजना निदेशक श्रीमती किरण कुमारी पासी, यूनिसेफ की राज्य पदाधिकारी श्रीमती डॉ. कनीनिका मित्रा, यूनिसेफ की एजुकेशन स्पेशलिस्ट श्रीमती पारुल शर्मा, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी श्री अभिनव कुमार समेत यूनिसेफ के अन्य पदाधिकारी शामिल थे। 

क्रायक्रम को संबोधित करते हुए यूनिसेफ की सीएफओ श्रीमती डॉ कनीनिका मित्रा ने कहा कि दस साल से कम उम्र के बच्चो के साथ साथ उससे अधिक अधिक उम्र के बच्चो को भी विशेष निगरानी एवं देखभाल कि जरुरत होती है। अभिभावकों के साथ शिक्षकों को भी बच्चो से बात करने और उनके साथ सकारात्मक बर्ताव करने का व्यवहार आना जरुरी है। 

उन्होंने राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया कि जीवन कौशल जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार के द्वारा सकरात्मकतापूर्वक पहल किया जा रहा है जो सराहनीय है। उन्होंने जीवन कौशल के तीन स्तम्भों 'सेंस्टिविटी, ओपूरचुनिटी और पाजिटिविटी' पर जोर दिया। 

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 श्रीमती डॉ कनीनिका मित्रा ने आज के दौर में प्रसारित हो रहे विज्ञापनों में दिखाए जा रहे भेदभाव से सम्बंधित सामग्रियों पर विचार करने की मांग की, साथ ही सरकार से ऐसे विज्ञापन जो बच्चो के मन में रंग, रूप, लिंग आदि को लेकर भेद भाव कि स्थिति पैदा करे उनपर नियंत्रण लगाने की मांग की है। 

उन्होंने कहा की आजकल लड़को के मन में मस्क्युलरिटी को लेकर बहुत तनाव है। सुन्दर दिखने की चाहत में वे लगातार आक्रामक हो रहे है। ऐसे किशोरों और युवाओ को समझाने की जरुरत है। *बच्चो के लिए सुरक्षात्मक वातवरण जरुरी* कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यूनिसेफ की एजुकेशन स्पेशलिस्ट श्रीमती पारुल शर्मा ने बच्चो के लिए सुरक्षात्मक वातावरण के निर्माण पर जोर दिया। 

उन्होंने कहा कि सुंदरता में भी विविधता होती है, इसकी कोई एक निर्धारित परिभाषा नहीं है। रंग रूप, आकार को लेकर भेदभाव नहीं होना चाहिए। पतला होने के लिए खाना छोड़ देना सही नहीं है, उसी प्रकार सुन्दर दिखने के लिए विज्ञापनों पर दिखने वाले उत्पादों पर अंधाधुंध खर्च करने के बजाय व्यक्तिगत गुणों को संवारने पर ध्यान देना चाहिए। किसी को उसकी सुंदरता पर परखने के बजाय उसकी कलाओ पर परखना ज्यादा जरुरी है।

कार्यशाला के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी श्री अभिनव कुमार ने कहा कि आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सकारात्मक होना बहुत जरुरी है। हर विद्यालय में कुछ ना कुछ सकारत्मक बातें होती है, हम अक्सर उन सकरात्मकताओ को दरकिनार कर नकारात्मक बातों पर ज्यादा चिंतन करते है। 

जिससे हमे निराशा होती है। उन्होंने स्कूल विजिट कर रहे पदाधिकारियों से आग्रह किया कि वे जब स्कूलों में जाए तो सकारात्मक रुख अपनाये, इससे स्कूलों में कार्य करने वाले अधिकारी और शिक्षकों का मनोबल बढ़ता है। सदैव नकारात्मक बातें करने से मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

कार्यशाला में राज्य के विभिन्न विद्यालयों से आये प्रतिनिधियों एवं छात्राओं के दल ने जीवन कौशल एवं प्रशिक्षण से सम्बंधित चल चित्रों, नाटकों एवं पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुतियां पेश की। छात्राओं के सन्देश परक प्रस्तुतियों ने सबका दिल जीत लिया।

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